For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सियासत का गिद्ध

जम्हूरियत के बुर्ज पर

बैठा सियासत का गिद्ध

फेरता है चारो ओर

पैनी निगाह

जो है अप्रेरित

भूख से,

वह ढूंढता नहीं है

लाश,

भिड़ाता है तरकीब

लाश  बिछाने की..

सत्ता की अंध महत्वकांक्षा में

ये निगाह रहती है

चिर अतृप्त.

चुनावों के मौसम में बढ़ जाती

आवाजाही गिद्धों की .

.......... नीरज कुमार ‘नीर’

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 410

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 26, 2013 at 2:22pm

आदरणीय नीरज जी ..बेहतरीन तरीके से करारी बात ..सादर 

Comment by Neeraj Neer on November 25, 2013 at 7:35pm

आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 25, 2013 at 10:23am
आदरणीय नीरज भाई, वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति पर बहुत करारा व्यंग !!! आदरणीय आपको हृदय से बधाई !!!
Comment by Neeraj Neer on November 25, 2013 at 8:52am

आदरणीय शिज्जू साहब आभार ..

Comment by Neeraj Neer on November 25, 2013 at 8:51am

जीतेन्द्र गीत साहब हार्दिक आभार ..

Comment by Neeraj Neer on November 25, 2013 at 8:51am

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहब .. आभार आपका ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 25, 2013 at 7:45am

आदरणीय नीरज 'नीर' जी इस खूबसूरत रचना के लिये आपको बहुत बहुत बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 25, 2013 at 12:46am

सच! सियासती गिद्धों के स्वार्थ से सिर्फ लाशें बिछकर रह जाती है, सार्थक रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीय नीरज जी

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 24, 2013 at 7:08pm

नीरज जी

बड़ी गिद्ध  सिद्ध कविता है

गिद्ध  तो केवल लाश खाते है

उनका भोजन है 

पर ये सियासती गिद्ध

लाश बिछाते है वोटो के लिए --------

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
2 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service