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Dr Ashutosh Mishra's Blog – September 2013 Archive (6)

आइना सबको दिखाया जाये

२१२२/११२२/२२

झूठ अब सामने लाया जाये

आइना सबको दिखाया जाये

तीरगी है तो उदासी कैसी

दीप फ़ौरन ही जलाया जाये

आज दिल में है बड़ी बेचैनी

साक़िया  भर के पिलाया जाये

लाडली वो भी किसी मा की है

फिर बहू  को न सताया जाये

तोड़ डाला जो खिलौना उसने

उसको इतना न रुलाया जाये

बात गर करनी मोहब्बत की तो 

दिल से नफरत को मिटाया…

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Added by Dr Ashutosh Mishra on September 23, 2013 at 5:30pm — 25 Comments

मुझको दीवाना बना देंगे ये तेरे जल्वे

मुझको दीवाना बना देंगे ये तेरे  जल्वे

आग सी दिल में लगा देंगे ये तेरे जल्वे

नींद में डूबा हुआ जाने हुआ मेरा दिल

उसको लगता है जगा देंगे ये तेरे जल्वे

 

जैसे परवाना जले कोई शमा जलते ही  

बैसे ही मुझ को जला देंगे ये  तेरे जल्वे

 

हमने इस दिल को बचाया था बड़ी मुश्किल से 

दिल को अब लगता मिटा देंगे ये  तेरे जल्वे

 

क्या तेरे दिल में…

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Added by Dr Ashutosh Mishra on September 20, 2013 at 4:00pm — 14 Comments

वक़्त का ही खेल है सारा यहाँ पे

२१२२      २१२२         २१२

खोजता तू  रेत पर जिनके निशान

अब सभी वो मीत तेरे आसमान

हैं घरोंदे  तेरे रोशन जुगनुओं से

उनके घर दीपक जले सूरज समान

उनके घर में तब जवाँ होती है  शाम

तीरगी में जब छुपे  सारा जहान

वक़्त का ही खेल है सारा यहाँ पे

देखते कब होता हम पर मिहरवान  

वो नवाबों जैसी जीते हैं हयात

हम फकीरी को समझते अपनी शान

दौड़ कर ही तेज वो पीछे हुये थे

भूल बैठे गोल…

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Added by Dr Ashutosh Mishra on September 16, 2013 at 3:30pm — 21 Comments

पीने लगे हैं लोग पिलाने लगे हैं लोग

२२१२   १२१     १२२१   २२२१

पीने लगे हैं लोग पिलाने लगे हैं लोग

महफ़िल को मयकदों सा सजाने लगे हैं लोग

 

दिल में नहीं था प्रेम दिखाने लगे हैं लोग

जब भी मिले हैं, हाथ मिलाने लगे हैं लोग

 

आयी थी रूह बीच में जब भी बुरे थे काम

अब तो सदाये रूह दबाने लगे हैं लोग

 

कश्ती बचा ली, खुद को डुबो कहते थे मल्हार

खुद को बचा के नाव डुबोने लगे हैं लोग

 

रखनी जो बात याद किसी को नहीं थी याद

जो भूलना नहीं था भुलाने…

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Added by Dr Ashutosh Mishra on September 14, 2013 at 9:00am — 19 Comments

उठी जो पलकें तीर दिल के आर-पार हुआ

१२२२     १२१२     १२१२         ११२

उठी जो पलकें तीर दिल के आर-पार हुआ

झुकी जो पलकें फिर से दिल पे कोइ वार हुआ

फकत जिसको मैं मानता रहा बड़ी धड़कन

नजर में जग की हादसा यही तो प्यार हुआ

गुलों को छू लें आरजू जवां हुई दिल में

लगा न हाथ था अभी वो तार –तार हुआ

हसीनों की गली में था बड़ा हँसी मौसम

मगर जो हुस्न को छुआ तो हुस्न खार हुआ

किया जो हमने झुक सलाम हुस्न शरमाया

नजर जो फेरी हमने हुस्न…

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Added by Dr Ashutosh Mishra on September 11, 2013 at 9:00am — 14 Comments

आज मैं सर को झुकाने आया हूँ

पुष्प भावों के चढाने आया 

आज मैं सर को झुकाने आया 

बस रही है आप की ही तो कृपा 

बात ये दिल की जताने आया 

कर्ज में डूबा है कतरा कतरा 

कर्ज किंचित वो चुकाने आया 

एक रिश्ता है गुरु चेले में 

आज वो रिश्ता निभाने आया 

ज्ञान दाता हो बिधाता सम  तुम 

दीप दिल का मैं जलाने आया 

ज्ञान रग रग में समाहित जिनका 

उनको कुछ दिल की सुनाने आया 

जग में  महती है जो रिश्ता…

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Added by Dr Ashutosh Mishra on September 4, 2013 at 12:30pm — 14 Comments

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