पुष्प भावों के चढाने आया
आज मैं सर को झुकाने आया
बस रही है आप की ही तो कृपा
बात ये दिल की जताने आया
कर्ज में डूबा है कतरा कतरा
कर्ज किंचित वो चुकाने आया
एक रिश्ता है गुरु चेले में
आज वो रिश्ता निभाने आया
ज्ञान दाता हो बिधाता सम तुम
दीप दिल का मैं जलाने आया
ज्ञान रग रग में समाहित जिनका
उनको कुछ दिल की सुनाने आया
जग में महती है जो रिश्ता सबसे
आशु वो रिश्ता बताने आया
डॉ आशुतोष मिश्र \
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदेर्नीय प्राची जी जौसला आफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद
सुन्दर भावों कि प्रस्तुत किया है डॉ० आशुतोष जी
हार्दिक शुभकामनाएँ
आदरनीय ब्रिजेश जी आदरनीय गिरिराज जी ..आप सभी के निरंतर प्रोत्साहन ही मुझे सतत लिखने का हौसला देता है
आदरनीय जीतेन्द्र जी ..आपका सतत प्रोत्साहन मुझे रचना धर्मिता के लिए प्रेरित करता है शिक्षक दिवस पर हार्दिक बधाई
आदरनीय सुरेन्द्र जी ..बस यूं ही अपना स्नेह बनाये रखें ..शिक्षक दिवस पर हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
आदेर्नीय मीना जी , अनुपमा जी ..आपके शब्द मुझे सतत कुछ लिखने की प्रेना देते हैं ..शिक्षक दिवस के पावन अवसर पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं
राम शिरोमणि जी .हौसला अफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद
आदरणीय आशुतोष भाई , बहुत सुन्दर , बहुत भाव पूर्ण रचना के लिये आपको हार्दिक बधाई !!
वाह! बहुत खूब! आपको हार्दिक बधाई!
ज्ञान दाता हो बिधाता सम तुम
दीप दिल का मैं जलाने आया .......यह पंक्ति बहुत पसंद आई
सुंदर रचना पर बधाई आदरणीय डा. आशुतोष जी
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