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Sheikh Shahzad Usmani's Blog – June 2017 Archive (3)

'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते...तत्र..!' (लघुकथा) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

परिपक्व कहे जाने वाले या माने जाने वाले लोकतंत्र की हथेली पर बैठी बेहाल नारी पांचों उंगलियों पर दया दृष्टि डाल रही थी। किसी में उसे परेशान जनता नज़र आ रही थी, तो किसी में मीडिया। बाकी उंगलियों में उसे लोकतंत्र की स्तंभ​ कही जाने वाली विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका नज़र आ रही थी, परेशान और भौचक्की सी।



"हे भारतीय नारी, क्षमा प्रार्थी हूं। समानता, सबलता, सशक्तिकरण करने के तमाम प्रयासों के बावजूद हम तेरी आबरू नहीं बचा पा रहे!" सभी की उदास, रोती सी शक्लें यही बयां कर रहीं… Continue

Added by Sheikh Shahzad Usmani on June 23, 2017 at 7:30pm — 8 Comments

कालू की बेटी (लघुकथा)/ शेख़ शहज़ाद उस्मानी

आज फिर यहां लोगों का जमावड़ा था। हर तबके की हर आयु वर्ग की लड़कियों, महिलाओं या पुरुषों​का आना-जाना कुछ दिनों से चल रहा था। कोई आभार व्यक्त करने, तो कोई मदद पाने के इरादे से सम्पर्क साधने की कोशिश में था। दरअसल दो सालों के बाद कालू की बेटी विदेश से आई हुई थी। कोई कालू को घेरे हुए था, तो कोई उसकी बेटी को। कालू को सेवा-मुक्त हुए लम्बा समय हो चुका था। बड़े नेताजी के बगीचे के माली बनने से लेकर उनका खास ड्राइवर बनने और फिर उनके खेतों का रखवाला बनने तक के तजुर्बे और फिर रिटायर होने पर लोगों से घिरे… Continue

Added by Sheikh Shahzad Usmani on June 14, 2017 at 1:58pm — 5 Comments

ट्राइएंगल : सिस्टम, कस्टम और ट्रेंड (लघुकथा)/ शेख़ शहज़ाद उस्मानी

दादा जी कहीं चले गए थे। पिताजी नहा-धो कर तैयार हो कर अपने मोबाइल चार्ज़ कर रहे थे। इंटरनेट के लिए बड़ा डाटा पैक अपने व बेटे के मोबाइलों की सिमों में कल ही डलवा लिया था। आज बोर्ड की दसवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम घोषित होने वाला था समाचारों के अनुसार दोपहर बारह बजे सभी अपने मोबाइलों, टी.वी. या लेपटॉप से चिपके हुए थे। मन्नू दोस्तों से मोबाइल पर वीडियो-कॉल पर बातचीत में मशगूल था।



"क्यों रे वेबसाइट खुली क्या?" दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई।



"नहीं भाई, लगता है रिज़ल्ट अभी अपलोड हो रहा… Continue

Added by Sheikh Shahzad Usmani on June 3, 2017 at 1:27pm — 9 Comments

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Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
Saturday

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