For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Naveen Mani Tripathi's Blog – May 2017 Archive (6)

ग़ज़ल --कश्मीर हमारा है हमारा ही रहेगा

221 1221 1221 122

भारत की बुलन्दी का सितारा ही रहेगा ।

कश्मीर हमारा है हमारा ही रहेगा ।।



हालात बदलने में नहीं देर लगेगी ।

प्यारा है हमें मुल्क तो प्यारा ही रहेगा ।।



हम एक थे हम एक हैं हम एक रहेंगे ।

यह दर्द तुम्हारा है तुम्हारा ही रहेगा ।।



बरबाद नहीं होगी शहीदों की निशानी ।

इतिहास में हारा है तू हारा ही रहेगा ।।



ऐ पाक कहाँ साफ़ रहा है तेरा दामन ।

है तुझ से किनारा तो किनारा ही रहेगा ।।



यह ख्वाब न् पालो के कभी तोड़… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on May 31, 2017 at 8:30am — 10 Comments

बेबसी की किताब है यारोँ

2122 1212 22

वो दिखी बेनकाब है यारों।

सारा चेहरा गुलाब है यारोँ ।।



अच्छी सूरत भी क्या बुरी शय है ।

सबकी नीयत खराब है यारों ।।



है लबों पर अजीब सी जुम्बिश ।

कैसा छाया शबाब है यारों।।



होश खोया है देख कर उसको ।

वह पुरानी शराब है यारों ।।



एक मुद्दत के बाद देखा है ।

हुस्न का इंकलाब है यारों।।



पैरहन ख्वाब में वो आती है ।

कितनी आदत खराब है यारोँ ।।



मैं जिसे सुबहो शाम पढ़ता हूँ ।

वह ग़ज़ल लाजबाब है… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on May 27, 2017 at 1:24pm — 8 Comments

गज़ल

221 1221 1221 122



अब हम भी ज़माने का सुख़न देख रहे हैं ।।

बिकता है सुखनवर ये पतन देख रहे हैं ।।



बदनाम न् हो जाये कहीं देश का प्रहरी ।

नफरत का सियासत में चलन देख रहे हैं ।।



वो मुल्क मिटाने की दुआ मांग रहा है ।

सीने में बहुत आग जलन देख रहे हैं।।



सब भूंख मिटाते हैं वहां ख्वाब दिखा कर ।

रोटी की तमन्ना का हवन देख रहे हैं ।।



वादों पे यकीं कर के गुजारे हैं कई साल ।

मुद्दत से गुनाहों का चमन देख रहे हैं ।।



लाशों में… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on May 27, 2017 at 8:30am — No Comments

ग़ज़ल

वज़्न - 221 1222 221 1222

पिजरे से परिंदे को आज़ाद नहीं करते ।

कुछ लोग मुहब्बत को आबाद नहीं करते ।।



फ़ितरत है पतंगों की शम्मा पे मचलने की ।

ऐसे जुनूं पे आलिम इमदाद नहीं करते ।।



वह दर्द मिटाने का वादा किया था वरना ।

रह रह के मुकद्दर को हम याद नही करते ।।



ज़ालिम की अदालत में सच पर गिरी है बिजली।

मालूम अगर होता फरियाद नही करते ।।



वो साथ निभाएंगे कहना है बहुत मुश्किल ।

वो वक्त कभी हम पर बर्बाद नहीं करते ।।



हसरत ही… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on May 23, 2017 at 1:28am — 7 Comments

गज़ल

1222 1222 122

अना की बात में कुछ दम नहीं है ।

कहा किसने तेरा परचम नहीं है ।।



मिलेंगी कब तलक ये स्याह रातें ।

मेरी किस्मत में क्या पूनम नही है ।।



अभी तक मुन्तजिर है आंख उसकी ।

वफ़ा के नाम पर कुछ कम नहीं है ।।



चिरागे इश्क़ पर है नाज़ उसको ।

उजाला भी कहीं मध्यम नहीं है ।।



सजा देंगे हमे ये हुस्न वाले ।

हमारे हक़ का ये फोरम नहीँ है ।।



तेरी जुल्फों की मैं तश्वीर रख लूँ।

मगर मुद्दत से इक अल्बम नही है… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on May 21, 2017 at 6:06am — 3 Comments

ग़ज़ल

*221 1221 1221 122



-------------



सबसे न बताओ के परेशान यही है ।

आशिक़ हूँ यकीनन मेरी पहचान यही है ।।



यूँ ही न् गले मिल तू जरा सोच समझ ले ।

इस शह्र के हालात पे फरमान यही है ।।



कहने लगी है आज से मुझको भी सरेआम ।

ठहरा है जो मुद्दत से वो मेहमान यही है ।।



बर्बाद गुलिस्तां को सितम गर ने किया जब।

लोगो ने कहा प्यार का तूफ़ान यही है ।



अक्सर ही नकाबों में छुपाते हैं ये चेहरा ।

बैठा जो तेरे हुस्न पे दरबान यही है… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on May 15, 2017 at 1:03pm — 10 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
3 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
15 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
21 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service