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लक्ष्मण रामानुज लडीवाला's Blog – April 2012 Archive (7)

क्षणिकाएँ

माधुर्य

(वाणी का माधुर्य)

वाणी का माधुर्य-

देता है जीवन को विस्तार 

जहाँ प्रेम है

वहां लेन-देन नहीं है

देना ही देना है

कोई व्यापार नहीं है |

.…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 27, 2012 at 4:00pm — 6 Comments

माँ की महिमा

मोहपाश

माँ की महिमा

माँ नहीं तो न घर न गाँव है 

माँ ही ममता की छाँव…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 16, 2012 at 10:08am — 6 Comments

सात जनम का सपना

आप में ही है यह सलीका,
जो कपडे भी- 
सहेजकर रखते हो |
एक थे मंत्री-
दिन में चार बार बदलते थे 
पत्रकार की नजर में आगये 
उनके दिन फिरगए-
मंत्री पद से चले गए…
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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 12, 2012 at 7:00pm — 5 Comments

एक आश्वासन भक्त का

मुझे सुनाई दी, बोली

मुझसे मेरी आत्मा बोली

पढ़ले पहले तू वेद, पुराण

या कुरान कलमां|

मै बैठा हूँ –

गिरजाघर और मंदिरों में, 

मिल जाएँगी परछाई-

गुरुद्वारों औ मस्जिदों में: 

कण कण में, ख्वाईशो में,

इश्क की फरमाईशो मे

प्यार दिल से करों तो –

मै मिलूंगा सोहणी-महिवाल में 

सच मानो मै मिलूँगा –

हीर-राँझा…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 10, 2012 at 11:30am — 2 Comments

प्रेम

प्रेम

 
प्रेम तो नयनो में ही बसते है
 

प्रेम नयनो से ही बरसता है 


नयनो नयनों में प्रेम होता है…
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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 5, 2012 at 12:28pm — 5 Comments

जिस गंगा की

जिस गंगा की 


हिमालय से कल-कल करती -
निरंतर बहती निर्मल  धारा
पवित्र गंगा-जल, वह मुक्ति धारा
मिलती कृषक को जिससे पवन माटी
जो गंगा मृतक अस्थियाँ भी…
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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 5, 2012 at 10:52am — 5 Comments

बंजारा

बंजारा लोगो की कैसी भी हो किस्मत 

 देखी  है उनमे, गजब की हिम्मत  |
बेदखल महाराणा के काल से बनजारा 
घूमता ही  रहा है शहर शहर बेसहारा |
देख  सपरिवार बेसहारा - 
भरी सर्दी में भी, 
बच्चे रहते  नंगे…
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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 2, 2012 at 10:30pm — 4 Comments

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