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दिनेश कुमार's Blog – April 2016 Archive (3)

ग़ज़ल -- "मैं ग़ज़ल की पलकें सँवार लूँ" बशीर साहब की ज़मीन में एक कोशिश। ( दिनेश कुमार )

11212--11212--11212--11212



लो गुनाह और सवाब की, मैं ये रहगुज़ार बुहार लूँ

या तो खुद को कर लूँ तबाह मैं , या हयात अपनी सँवार लूँ



तू हर एक शै में समाया है...के वो ज़र्रा हो या हो आफ़ताब

मेरी बन्दगी है यही ख़ुदा, के मैं खुद में तुझ को निहार लूँ



मुझे माँगने में हिचक नहीं, न वो नाम का ही रहीम है

जो लिखा न मेरे नसीब में.. उसे मैं ख़ुदा से उधार लूँ



मेरी साँस साँस तड़फ रही, तेरी इक नज़र को मिरे ख़ुदा

मुझे अपने पास बुला या फिर,मैं तुझे… Continue

Added by दिनेश कुमार on April 17, 2016 at 8:52am — 6 Comments

ग़ज़ल -- ख़बर कहाँ थी मुझे पहले इस ख़ज़ाने की ( दिनेश कुमार )

1212--1122--1212--22





ख़बर कहाँ थी मुझे पहले इस ख़ज़ाने की

ग़मों ने राह दिखाई .........शराबख़ाने की



चराग़े--दिल ने की हसरत जो मुस्कुराने की

तो खिलखिला के हँसी आँधियाँ ज़माने की



मैं शायरी का हुनर जानता नहीं ....बेशक

अजीब धुन है मुझे क़ाफ़िया मिलाने की



वजूद अपना मिटाया किसी की चाहत में

बस इतनी राम कहानी है इस दिवाने की



वो घोसला भी बनाएगा बाद में ...अपना

अभी है फिक्र परिन्दे को आबो-दाने की



मैं अश्क बन… Continue

Added by दिनेश कुमार on April 15, 2016 at 6:08pm — 4 Comments

ग़ज़ल -- फ़क़ीर हूँ मैं नवाब जैसा। ( दिनेश कुमार )

121 22 -- 121 22



बहिश्त के इक गुलाब जैसा

बदन वो जामे शराब जैसा



मैं उसको पढ़ता हूँ झूमता हूँ

सुख़न की वो इक किताब जैसा



न पूछो दीवानगी का आलम

सुकूँ का पल इज़्तिराब जैसा



हर एक ख़्वाहिश सराब जैसी

हर एक लम्हा अज़ाब जैसा



वो अपने चेहरे से कब है ज़ाहिर

कि उसका चेहरा नक़ाब जैसा



है इश्क़ करना गुनाह बेशक

गुनाह लेकिन सवाब जैसा



फिसलता मुट्ठी से वक़्त हर पल

ये अपना जीवन हुबाब जैसा



जो… Continue

Added by दिनेश कुमार on April 5, 2016 at 6:59pm — 10 Comments

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गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
4 hours ago

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गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
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Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
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Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
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Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
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