For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

AMAN SINHA's Blog – March 2022 Archive (22)

अंध विश्वास

मैंने देखा है जहाँ में लोग दो तरह के है

हाँ यहाँ पर हर किसी को रोग दो तरह के है

एक को लगता है जैसे सब देवता के हाथ है

एक को लगता सबकुछ दानवो के साथ है

 

मन के विश्वास को कोई आस्था बता रहा

दूसरा अपने भरम को सत्य से छिपा रहा

लोगों के आस्था का यहाँ हो रहा व्यापार है

हर गली में पाखंडियों का लग रहा बाज़ार है…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 31, 2022 at 10:14am — 2 Comments

बस कुछ दिनों की बात है

बस कुछ दिनों की बात है, ये वक़्त गुज़र जाएगा

मौत के अंधेरे को चीर के फिर उजला सवेरा आएगा

समय सब्र रखने का है, एक व्रत रखने का है

अगर संयम से चले हम तो फिर ये संकट भी टल जाएगा

बस कुछ ................................................

है प्रार्थना सभी से मिलकर साथ रहो तुम सब

बहूत देख लिया जग हमने, बस घर मे रहो सारे…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 30, 2022 at 10:20am — 3 Comments

सब कुछ पहले जैसा

कजरा वही गज़रा वही आँखों में है नर्मी वही

पायल वही झुमका वही साँसों में है गर्मी वही

टिका वही बिंदी वही गालो में है लाली वही

काजल वही कंगन वही कानो में है बाली वही

चुनड़ वही घागर वही कमर पर है गागर वही

ताल वही और चाल वही घुँघराले से बाल वही

रूप वही और रंग वही चोली अबी भी तंग वही

अंग वही और ढंग वही रहती हरदम है संग…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 29, 2022 at 10:25am — 12 Comments

नारी जीवन

किवाड़ के खड़कने के आवाज़ पर

दौड़ कर वो कमरे में चली गयी

आज बाबूजी कुछ कह रहे थे माँ से

अवाज़ थी, पर जरा दबी हुई

 

बात शादी की थी उसकी चल पड़ी

सुनकर ये ख़बर जरा शरमाई थी

आठवीं जमात हीं बस वो पढ़ी थी

चौदह हीं तो सावन देख पाई थी

 

हाथ पिले करना उसके तय रहा

बात ये बाबूजी जी ने उससे कह…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 28, 2022 at 10:25am — 2 Comments

ज़िंदगी की तलाश

ना खबर है राह की ना मजिंल का ठिकाना है

खुद की तलाश में हम खुद को भुलाए जा रहे है

नज़्म है कोई ना कोई गुंज़ाइश-ए तराना है

अंजान अल्फ़ाज़ को खुदका बताए जा रहे है

फलक के अक्स में हम तैरते हुए

उस पार हो भी…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 25, 2022 at 10:30am — No Comments

चरित्रहीन

चार दिन भी हुए नहीं ब्याह के उसको आए हुए

उसके नाम की चर्चा में हैं मनचले बौहराये हुए

बस्ती में चर्चा है काफी उसके लम्बे बालों की

लोग तारीफे कर रहे हैं उसके गोरे गालों की

पति प्रेम है उसका सच्चा, तन से है वो थोड़ा कच्चा

अगन प्यास की बुझा ना पाए, है अकल से पूरा बच्चा

तन की प्यास बुझाने को वो दिल ही दिल में व्याकुल…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 24, 2022 at 10:55am — No Comments

घर वापसी

आज का दिन है बड़ा सुहाना, हवा में खुशियां फैली है

आओ मिलकर ख़ुशी मनाए, घाटी ने बाहें खोली है

सत्तर साल से जिन पैरों को, जंजीरों ने जकड़ा था

घाटी के दामन को अब तक, जिन धाराओं ने पकड़ा था

ख़त्म हुआ अनुच्छेद आज वो, अब तुम खुलकर साँसे लो

कदम बढ़ाओ तुम भी आगे, इस राष्ट्र पुरुष (अखण्ड भारत) के संग हो लो

शायद थोड़ी देर हुई है, ये पहले ही हो जाना…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 23, 2022 at 10:04am — 2 Comments

नेता के बोल

(वोट के पहले)

वोट माँगने आए हैं, जोड़ कर दोना हाथ

बोले कभी न छोड़ेंगे, हम जनता का साथ

इस जनता का साथ, कभी जो हमने छोड़ा

उम्मीदों का तार, जैसे हो हम हीं ने तोड़ा

भूखा होगा कोई ना, ना सोएगा खाली पेट

हर कोई शिक्षा पाएगा, विद्यालय में…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 22, 2022 at 10:30am — No Comments

यम का ग़म

भैंसे पर बैठे हुए आ धमके यमराज

बोले बच्चा खत्म हुए सकल तुम्हारे काज

अपने सभी परिजन को देख ले अंतिम बार

यमलोक को जाने को तुम अब हो जाओ तैयार

 

वो बोली मैं चलती हूँ बस काम पड़े है चार 

कपडे, बर्तन बाकि है धर दूँ मैं आचार

रसोई अभी तक हुई नहीं, नहीं बना आहार

कैसे अभी मैं चल पडू छोड कर ये…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 18, 2022 at 12:29pm — No Comments

याद आ रही है

याद आ रही है

उन गलियों की

जहां खेल कर मैं बड़ा हुआ

उन राहों की जो आज भी

मेरे मन मे बसते है

वो कच्चा मकान

जिसमे मेरा बचपन बिता

वो छोटी दुकान जिसमे ना जाने

कितनी उधारी रह गयी…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 17, 2022 at 1:00pm — 2 Comments

कैंसर

क्या?

क्या कहा तुमने ?

अब और जी ना पाओगे

चल पड़े हो लम्बे सफर पर

अब कभी लौट के ना आओगे

मैंने देखा है तुम्हे

 

रात को छुप के तन्हाई…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 16, 2022 at 11:30am — 2 Comments

कोरोना का डर

सुबह निंद से जागा तो मैं काँप उठा

सर्दी कड़क की थी पर मेरे तन से भांप उठा

एक जकड़न सी थी पूरे बदन मे मेरे

हाथ ऊपर जो उठाया तो बदन जाग उठा

 

पहले कभी मुझे ऐसा लगा ही नहीं

मर्ज़ हल्का हीं रहा कभी बढ़ा ही नहीं

लगा ये रोग मुझे कैसे क्या बताऊँ मैं

कभी बदनाम उन गलियों मे मैं गया ही नहीं

 

थोड़ी सर्दी थी लगी और ये तन तपता था

ज़रा बदन भी मेरा आज जैसे दुखता था

सर दबाया मैंने खूब मगर फर्क पड़ा हीं नही

एक…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 15, 2022 at 12:01pm — No Comments

क्या होगा मेरे मरने के बाद

क्या होगा मेरे मरने के बाद?

मेरी लाश को उठाएंगे

नाक को दबाते हुए

शरिर को छूएँगे मगर

खुदको बचाते हुए

 

बच्चे कुछ दिन रोएँगे, गाएँगे

मेरी यादों मे डूब जाएंगे

बीबी की चूड़ियाँ तोडी जाएगी

सिंदूर मिटाया जाएगा

सफ़ेद सारी पहनाई जाएगी

कुछ लोग जो…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 14, 2022 at 12:17pm — 7 Comments

धोखा हो गया

हज़ारों यहाँ इश्क़ में बीमार बैठे है

जीस गली में देखो दो चार बैठे है

किसी काम में अब जी नहीं लगता इनका

लोग कहते है की ये सब बेकार बैठे है

 

उंगलिया हटती नहीं कभी इनकी चैटिंग से

वक्त मिलता नही इनको कभी भी डेटिंग से

हर दिन बदलते है ये प्रोफाइल कपड़ो की तरह

फर्क पड़ता है इन्हे बस टिंडर की सेटिंग से

 

साथ इनके है अभी कल कोई नया आएगा

भूल जाएगा ये भी वो भी इन्हें भूल जाएगा

दिल का टूटना तो बस एक छलावा है

ये किसी…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 12, 2022 at 11:44am — No Comments

केसरी

रंग है ये शान का रंग है ये आन का

वीरों के मान का देश के अभिमान का

रंग है बखान का प्राणों के दान का

सीमा पर जो मर मिटे उनके बलिदान का

 

रंग है ललकार का शत्रु पर वार का

शेरों से जा भिड़े जो उनके हुंकार का

रंग है ये आस का मन के विश्वास का

दुष्टों को ताड़ दे उस शुभ के आभास का

 

रंग है प्रताप का रंग है सुभाष का

तिलक का रंग है और रंग है आज़ाद का

रंग है कमान का वीरों के बाण का

आश्रित कभी न हो उस सत्य के प्रमाण…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 11, 2022 at 12:47pm — No Comments

एक तरफ़ा मोहब्बत

तु देखे ना देखे मुझे तुझ पर छोडा है

पर मैं ना देखूं तुझे ये मुमकिन ही नहीं

तु चाहे ना चाहे मुझे ये तेरी मर्ज़ी है

पर मैं ना चाहूँ तुझे ये मुमकिन नहीं

 

एक सच ये भी है की तु बस मेरी है 

ये तु ना माने, बात कुछ खास नहीं

कभी फुर्सत में भी ना देखना तू आईना

अक्स मेरा तुझमे ना दिख जाए…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 10, 2022 at 12:30pm — No Comments

वर्चुअल बनाम सच्चाई

सैकड़ो शब्द हमने लिखे लैपटॉप, टैबलेट पर

कलम को जब उठाया लिखने का मज़ा आया

स्काइप और डुओ में कई बार सबको देखा

गले लग के दोस्तों से मिलने का मज़ा आया

 

बेतुकी सी कई बाते चैटिंग में हमने बोली

संग बैठ कर गरियाये बकने का मज़ा आया

गाना और सावन में हज़ारो गाने सुन डाले

ताल ढोलक पर जब लगाया गाने का मज़ा…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 9, 2022 at 9:53am — 1 Comment

परछाई

जब मैं चलता हूँ तो साथ साथ वो भी चलती है

जहां मैं मुड़ा कहीं मेरे साथ वो भी मुड़ जाती है

रूप रंग में हाव-भाव में बिल्कूल मेरे जैसी है

मैं तो दीखता हूँ हर जगह वो कहीं-कहीं छुप जाती है

सूरज हो या चाँद फलक पर इसको फर्क नही पड़ता

खोली हो या हो कोई हवेली इसको डर नहीं लगता

आगे पीछे ऊपर निचे ये कही भी हो सकती है

टेढ़ी मेढी छोटी मोटी ये कैसी भी हो सकती…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 7, 2022 at 11:38am — 1 Comment

आंधी

चिड़ियों के चहक में आज कोलाहल था शोर था

उत्तर के पुरे आसमान में काले बादल का ज़ोर था

पेड़ अभी तक शांत खड़े थे धूल की ना कोई रैली थी

सूरज अब तक ढला नहीं था ना तो अंधियारी फैली थी

हवा थमी फिर सूरज चमका गर्मी थोड़ी और बढ़ी

काले बादलों की एक टोली आसमान में और चढ़ी

एक तरफ थे काले बादल एक तरफ उजियरा था

भी कहीं पर चमकी…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 5, 2022 at 12:31pm — 1 Comment

मन का डर

काँप उठता है बदन और धड़कने बढ़ जाती हैं

शब्द अटकते है जुबां पर साँसे भी थम जाती हैं

लाल हो जाती है आंखें भौह भी तन जाती हैं

सैकड़ो ख्याल मन को एक क्षण में घेरे जाती हैं

खून बेअदबी से तन में फिर बेधड़क है भागता

नींद से आँखे भरी पर रात भर है जागता

मन किसी भी काम में फिर कहीं लगता नहीं

अपने हीं विचार पर ज़ोर तब चलता…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 4, 2022 at 11:30am — No Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service