For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Featured Blog Posts – February 2021 Archive (4)

ग़ज़ल~ 'इनकार मुझे'

2122 1122 2(11)2

ये अलग बात है इनकार मुझे

तेरे साये से भी है प्यार मुझे।

                **

सामने सबके बयाँ करता नहीं

रोज दिल कहता है, सौ बार मुझे।

                 **

लफ्ज़ दर लफ्ज़ मैं बिक जाऊं अगर

तू खरीदे सरे बाजार मुझे।

                  **

था हर इक दिन कभी त्यौहार की तर्ह

भूल अब जाता है इतवार मुझे।

                  **

चाहकर मैं तुझे, मुजरिम हूँ तेरा

क्यूँ नहीं करता गिरफ़्तार मुझे

   …

Continue

Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 6, 2021 at 11:30pm — 10 Comments

ग़ज़ल (इक है ज़मीं हमारी इक आसमाँ हमारा)

2212 -  1222 -  212 -  122

इक है ज़मीं हमारी इक आसमाँ हमारा

इक है ये इक रहेगा भारत हमारा प्यारा

हिन्दू हों या कि मुस्लिम सारे हैं भाई-भाई 

होंगे न अब कभी भी तक़्सीम हम दुबारा 

यौम-ए-जम्हूरियत पर ख़ुशियाँ मना रहे हैं 

हासिल शरफ़ जो है ये, ख़ूँ भी बहा हमारा 

अपने शहीदों को तुम हरगिज़ न भूल जाना

यादों को दिल में उनकी रखना जवाँ…

Continue

Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on February 6, 2021 at 7:27pm — 5 Comments

हम तो हल के दास ओ राजा-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२/२२/२२/२२



हम तो हल के दास ओ राजा

कम देखें  मधुमास  ओ राजा।१।

*

रक्त  को  हम  हैं  स्वेद  बनाते

क्या तुमको आभास ओ राजा।२।

*

अन्न तुम्हारे पेट में भरकर

खाते हैं सल्फास ओ राजा।३।

*

पीता  हर  उम्मीद  हमारी

कैसी तेरी प्यास ओ राजा।४।

*

हम से दूरी  मत  रख इतनी

आजा थोड़ा पास ओ राजा।५।

*

खेती - बाड़ी  सब  सूखेगी

जो तोड़ेगा आस ओ राजा।६।…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 4, 2021 at 9:56am — 23 Comments

गीत

स्वार्थ रस्ता  रोके बैठे है.....!

कई दिनों से सोन चिरैया

गुमसुम  बैठी रहती  है

देख रही चहुँ ओर कुहासा

भूखी घर बैठी रहती है

चौराहे पर बंद  लगे हैं

स्वार्थ रस्ता  रोके बैठे हैं !

कितने बच्चे कितने बूढ़े

कितनों के रोज़गार छिने हैं

लोग मर गए  बिना दवा के

हार गए जीवन से हैं...

जंतर मंतर रोज  रचे हैं 

हँसते हँसते रो दे ते हैं  !

तोड़ रहे  कानून …

Continue

Added by Chetan Prakash on February 2, 2021 at 2:02pm — 5 Comments

Featured Monthly Archives

2025

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत दोहे चित्र के मर्म को छू सके जानकर प्रसन्नता…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर,  प्रस्तुत दोहावली पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आर्ष ऋषि का विशेषण है. कृपया इसका संदर्भ स्पष्ट कीजिएगा. .. जी !  आयुर्वेद में पानी पीने का…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service