For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"'s Blog – January 2016 Archive (6)

एक दिन आऊँगा मिलनें, प्रलय बनकर के मनुज।।- पर्यावरण की चेतावनी पंकज की लेखनी से

मैं धरा पर्यावरण कुछ कह रहा तुमसे मनुज।

धरा है माता तुम्हारी मैं पिता सुन ले मनुज।।



धरा का मातृत्व मुझसे, आभरण धरती का मैं।

धरा है तब तक सुहागन, सकुशल जब तक हूँ मैं।।



मैंने तुझको तन दिया, शाक का भोजन दिया।

जन्तु सह-जीवन दिया, और खनिज संसाधन दिया।।



मृदा-अग्नि-जल-पवन, निर्मित है तन मेरा मनुज।

अंश तू मेरा ही है, किया धरा नें धारण मनुज।।



तूने मेरे विविध अंगों का अतिशोषण किया।

क्या बताऊँ तूने मुझमें, कितना परिवर्तन… Continue

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 17, 2016 at 5:00pm — 5 Comments

वतन में रोग हैं कई दवा ज़रूरी है...............ग़ज़ल इस्लाह के लिए

1222 1212 12 1222

वतन में रोग हैं कई दवा ज़रूरी है।
चलन हो प्रीत का नई फ़िज़ा ज़रूरी है।।

ख़ुदा औ ईश का ये फर्क बस भरम ही है।
ये सच है तू सभी से ये बता ज़रूरी है।।

कहीं जो प्यार हो मिला किसी को जबरन तो।
मुझे भी वो कथा ज़रा सुना ज़रूरी है।।

दिलों की डोरियाँ तो त्याग ही से जुड़ती हैं।
दिलों की नफ़रतें अमाँ मिटा ज़रूरी है।।

घना अँधेरा आसमान पर जो छाया है।
दिया-ए-इश्क़ सबके दर जला ज़रूरी है।।

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 14, 2016 at 2:45pm — 10 Comments

इन्हें रोकना मैं बहुत चाहता हूँ........

इन्हें रोकना मैं बहुत चाहता हूँ।।



ये चोरी छिनैती अपहरण की घटना

बालात्कार और अभिहरण वाली घटना

मगर,

करना कुछ मैं नहीं चाहता हूँ

हाँ !

इन्हें रोकना मैं बहुत चाहता हूँ।।



गर्भस्थ शिशु की हत्या न चाहूँ

स्त्री को उसका अधिकार चाहूँ

मगर,

लड़ना खुद मैं नहीं चाहता हूँ

हाँ !

इन्हें रोकना मैं बहुत चाहता हूँ।।



गरीबों के आँसूं द्रवित कर रहे हैं

भूखे ये बच्चे दुखित कर रहे हैं

मगर,

मरना खुद मैं नहीं चाहता… Continue

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 12, 2016 at 10:50pm — 8 Comments

पता घाट पर अब लिखाने चले हम- ग़ज़ल (पंकज मिश्र)

122 122 122 122

कि जश्ने मोहब्बत मनाने चले हम।

जी धड़कन को अपनी सुलाने चले हम।।



कि साँसों ने मेरी मना कर दिया है।

ये तन ख़ाक में अब मिलाने चले हम।।



सफ़र ज़िन्दगी का बहुत हो चूका अब।

लो प्रियतम के दिल में समाने चले हम।।



कि अब तक भ्रमित ही किया बादलों नें।

हाँ भ्रम सारे अब तो मिटाने चले हम।।



कि जिनके लिए नैन प्यासे रहे हैं।

नयन उनके झरनें बनाने चले हम।।



कि अब देखना है हुश्ने हुनर भी।

विरह वेदना क्या बताने चले… Continue

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 6, 2016 at 12:27am — 12 Comments

मेरे वश में है ही नहीं-ग़ज़ल (पंकज के मानसरोवर से)

22122-22122-2222-2212

उनसे ख़फ़ा हो करके रहूँ मैं, मेरे वश में है ही नहीं।

उनकी नज़र में आँसूं भरूँ मैं, मेरे वश में है ही नहीं।।



उनकी ख़ुशी का मालिक हूँ मैं, उनकी चाहत मेरी ख़ुशी।

कोई शिकन उस माथे पढूँ मैं, मेरे वश में है ही नहीं।।



नादान हैं वो मुझको पता है, मौसम का उन पर भी असर।

इल्ज़ाम उनके सर पे धरूँ मैं, मेरे वश में है ही नहीं।।



कैसे शिकायत उनसे करूँ मैं, वो कुछ ऐसे मिलते ही हैं।

उनकी अदा से कैसे बचूँ मैं, मेरे वश में है ही… Continue

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 3, 2016 at 11:55am — 3 Comments

सदी 16 वें साल में आ गयी है- नव वर्ष विशेष ग़ज़ल (पंकज के मानसरोवर से)

शब्दों की माला सुमन भाव निर्मित।

सभी प्रियजनों को मैं करता समर्पित।



नव वर्ष के आगमन की घड़ी में।

हृदय से शुभेच्छाएँ करता हूँ अर्पित।।



सदी 16वें साल में आ गयी है

ये यौवन हाँ जीवन में सबके अपेक्षित।।



खुशियाँ सदा द्वार पर आपके हों।

कलम से यही कामनाएँ हैं प्रेषित।।



कि धन-धान्य, सुख-शांति से घर भरा हो।

हर कामना आप सबकी हो पूरित।।



न मन न हीं तन न ही धरती गगन ये।

किसी हाल "पंकज" नहीं हो… Continue

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 2, 2016 at 8:40am — 7 Comments

Monthly Archives

2022

2021

2019

2018

2017

2016

2015

1999

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय, 'नूर साहब, ग़ज़ल लेखन पर आपके सिद्धहस्त होने से मैंने कब इन्कार किया। परम्परागत ग़ज़ल…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय अजेय जी,  आपकी छंद-रचनाएँ शिल्पबद्ध और विधान सम्मत हुई हैं.  सर्वोपरि, आपके…"
7 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"योग ****    छोटी छोटी बच्चियाँ, हैं भविष्य की आस  शिक्षा लेतीं आधुनिक, करतीं…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
Thursday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service