Posted on January 5, 2016 at 9:26pm — 12 Comments
आपकी तालीम का हर अर्थ कुछ दोहरा तो है
आकाश पर बादल नहीं पर हर तरफ कोहरा तो है
बादशाहों की हमेशा ज़िन्दगी महफूज़ है
लड़ने-मरने के लिए शतरंज में मोहरा तो है
इस महल में अब खज़ाना तो नहीं बाकी रहा
द्वार पर दरबान है, संगीन का पहरा तो है
शोर करना हर नदी की चाहे हो आदत सही
ये समंदर हर नदी से आज भी गहरा तो है
तुम क़सीदे खूब पढ़ लो पर यहाँ हर आदमी
हो न गूंगा आज लेकिन, आज भी बहरा तो…
ContinuePosted on January 4, 2016 at 10:30pm — 15 Comments
मैं गीतों को भी अब ग़ज़ल लिख रहा हूँ
हरेक फूल को मैं कँवल लिख रहा हूँ
कभी आज पर ही यकीं था मुझे भी
मगर आज को अब मैं कल लिख रहा हूँ
बहुत कीमती हैं ये आँसू तुम्हारे
तभी आँसुओं को मैं जल लिख रहा हूँ
लिखा है बहुत ही कठिन ज़िंदगी ने
तभी आजकल मैं सरल लिख रहा हूँ
समय चल रहा है मैं तन्हा खड़ा हूँ
सदियाँ गँवाकर मैं पल लिख रहा हूँ
मैं बदला हूँ इतना कि अब हर जगह पर
तू भी तो थोड़ा बदल लिख रहा हूँ
"मौलिक व अप्रकाशित"
Posted on October 19, 2014 at 5:30pm — 6 Comments
Posted on October 12, 2014 at 5:27pm — 7 Comments
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