माँ के आँचल में छुप जाते
हम सुनकर डाँट कभी जिनकी।
नव उमंग भर जाती मन में
चुपके से उनकी वह थपकी ।
उस पल जाना ‘प्रेम पिता का’
कितनी…
ContinuePosted on December 7, 2024 at 1:55pm
मंदिर क्या है? इक पत्थर है
मस्जिद क्या है? इक पत्थर है
क्या है गिरिजाघर-गुरुद्वारा?
इक पत्थर है, इक पत्थर है।
रहता है जो हर पत्थर में
इक ईश्वर है, इक ईश्वर है।…
ContinuePosted on August 4, 2024 at 12:37pm
सूरज किरणें देता जग को
नदिया देती निर्मल पानी।
पालन करती युगों-युगों से
धरती ओढ़ चुनरिया धानी।
शीतल छाया देता तरुवर
प्राणवायु यह पवन सुहानी।
फूल चमन को देते खुशबू
परम सार संतों की बानी।
उऋण हुए गुरु विद्या देकर
निर्धन को धन देकर दानी।
कैसे सबका मोल चुकाऊँ?
दीन अकिंचन मैं अज्ञानी।
हे चंडी! दे वर दे मुझको
रार अगर दुश्मन ने ठानी।
मातृ-भूमि के चरणों पर मैं
अर्पण कर दूँ शीश…
Posted on August 29, 2021 at 2:38pm — 4 Comments
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