For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुड्डू, गोविंद और गोपी तीनों अलग अलग कक्षाओं के थे और तीनों दोस्त भी नहीं थे। स्कूल में आज फिर वे तीनों न तो मध्यान्ह अवकाश में अपना मनपसंद गेम खेल पाये थे और न ही इस समय खेल के पीरियड में उन्हें उनकी कक्षा के साथियों ने अपने साथ किसी खेल में शामिल किया था। 

अचानक गुड्डू के मन में कुछ सूझा। अपने-अपने खाली टिफ़िन के साथ वह उन दोनों को शौचालय के पास के छोटे मैदान की ओर ले गया। खो-खो के खेल की तरह तीनों अपने-अपने टिफ़िन लेकर एक पंक्ति में उकड़ू बैठ गये। अंतिम छोर पर बैठे गुड्डू ने अपने क्षेत्र के कंकड़ पत्थर बीने। बीच में बैठे गोविंद ने अपने क्षेत्र के और शौचालय की तरफ़ के क्षेत्र के कंकड़-पत्थर गोपी ने बीने। फिर तीनों ने गत्ते के एक बड़े से डब्बे में अपने-अपने टिफ़िन उड़ेल दिये।

अब गोविन्द के मन में कुछ सूझा। उसकी सलाह पर वे तीनों शौचालय के आसपास की खर-पतवार और फ़ालतू नुकसानदायक पौधे-झांड़ियां उखाड़ने लगे। कुछ ही समय में शौचालय के आसपास स्वच्छता और अधिक जगह दिखाई देने लगी। दूर धूप में बैठी एक चपरासी आंटी यह सब देख रहीं थीं। उन्होंने एक महिला शिक्षक को सारी बात बतायी और फिर वे दोनों उन तीनों बच्चों के पास पहुंची। गुड्डू ने उन्हें खो-खो, क्रिकेट, फुटबॉल और हैंडबॉल खेलने वाले विद्यार्थियों के उनके प्रति उपेक्षापूर्ण रवैए के बारे में बताते हुए उन तीनों के खेल के इस अंदाज़ के बारे में बताते हुए कहा - "देखिए, अब यहां आने में कोई लड़की नहीं डरेगी। यहां भी हम खो-खो या कबड्डी खेल सकेंगे। चपरासी आंटी शर्मिंदा सी हो गईं। उनका काम इन बच्चों ने कर दिखाया था। शिक्षिका उन तीनों को प्राचार्य महोदया के पास ले गईं, जहां उन्हें न केवल शाबासी मिली, बल्कि खेल शिक्षक को बुलवाकर अगले सप्ताह के लिए उन्हें हैंडबॉल दिये जाने की अनुमति भी दी गई। वे तीनों बड़ी ख़ुशी के साथ अपनी-अपनी कक्षाओं में पहुंच गये।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 767

Replies to This Discussion

really wonderful sir

Deepak kuluvi

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
32 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद।"
34 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ेफ जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"//जिस्म जलने पर राख रह जाती है// शुक्रिया अमित जी, मुझे ये जानकारी नहीं थी। "
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी से सीखने को मिला। इसके लिए हार्दिक आभार। भविष्य में भी मार्ग दर्शन…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"शुक्रिया ज़ैफ़ जी, टिप्पणी में गिरह का शे'र भी डाल देंगे तो उम्मीद करता हूँ कि ग़ज़ल मान्य हो…"
4 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। आ. अमित जी की इस्लाह महत्वपूर्ण है।"
4 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. अमित, ग़ज़ल पर आपकी बेहतरीन इस्लाह व हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, समयाभाव के चलते निदान न कर सकने का खेद है, लेकिन आदरणीय अमित जी ने बेहतर…"
4 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. ऋचा जी, ग़ज़ल पर आपकी हौसला-अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
4 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. लक्ष्मण जी, आपका तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service