परम आत्मीय स्वजन,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के २९ वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है|इस बार का तरही मिसरा हिन्दुस्तान के हरदिल अज़ीज़ शायर/गीतकार जनाब राहत इन्दौरी जी की गज़ल से लिया गया है| यह बह्र मुशायरों मे गाई जाने वाली बहुत ही मकबूल बह्र है|यूं तो राहत इन्दौरी साहब अपने सारे कलाम तहत मे पेश करते हैं और अगर आपने रूबरू उनसे उनकी यह गज़ल सुन ली तो आप इसके मोह को त्याग नहीं सकेंगे| तो लीजिए पेश है मिसरा-ए-तरह .....
"इन चिराग़ों में रोशनी भर दे"
२१२२ १२१२ २२
फाइलातुन मुफाइलुन फेलुन
मुशायरे की शुरुआत दिनाकं २८ नवंबर दिन बुधवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक ३० नवंबर दिन शुक्रवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा |
अति आवश्यक सूचना :-
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन
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भाई हरजीत सिंहजी, आपकी कहन सुलझी और ऊँची है.
मतला की महीनी मुग्ध कर रही है. और, साहब, क्या गिरह लगायी है आपने ! वाह !! ..दिल से दाद कुबूल कीजिये.
बढ़िया ग़ज़ल कही है दाद कबूल कीजिये हरजीत सिंह जी
वाह हरजीत सिंह खालसा जी,
गज़ल के पहले शेर ने ही दिल को घायल कर दिया. भई वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
दुश्मनों को भी हक बराबर दे,
फूल दे हाथ में न खन्जर दे
शानदार गज़ल के लिए दिली दाद स्वीकार करें.
वाह हरजीत सिंह साहिब ...कमाल की गज़ल कही है ..शुरू के तीन शेर बेहतरीन बन पड़े हैं जिनमे गिरह का शेर बेहद ही उम्दा है| मेरी तरफ से ढेर सारी दाद कबूलिये|
बहुत उम्दा गजल भाई हरजीत सिंह खालसा जी, मतले के इस शेर ने तो वाकई दिल खुश कर दित्ता है - बधाई स्वीकारे -
दुश्मनों को भी हक बराबर दे,
फूल दे हाथ में न खन्जर दे -------आपकी ये ख्वाइश तो धरती को स्वर्ग बना देगी बहुत खूब
वाह हरजीत सिंग जी वाह
मैं हूँ दीवाना मेरी जिद ये है
फूल दूंगा उसे जो पत्थर दे
ओ.बी. ओ. के सितारे हैं आप
उम्दा हैं
हार्दिक बधाई
प्रकाशपर्व की हार्दिक शुभकमना
सुन्दर प्रयास पर बधाई स्वीकार करें हरजीत जी..!
हरजीत पाजी, मार सुट्टेया, बहुत सोहना लिखेय है तुसी - सुरिन्दर रत्ती - मुंबई
दुश्मनों को भी हक बराबर दे, फूल दे हाथ में न खन्जर दे
झोलियाँ खुद ब खुद भरेगा वो, बस उठा हाथ औ' दुआ कर दे ...
ये वफ़ा की हवा से जलते है, इन चिरागों में रौशनी भर दे
अच्छे अश’आर हुए हैं हरजीत जी, दाद कुबूलें
bahut khoob harjeet ji behtreen kalam ke liye bahut bahut mubarakbad pesh karta hoon kubool farmayein
दुश्मनों को भी हक बराबर दे,
फूल दे हाथ में न खन्जर दे..बहुत खूबसूरत ख़याल
आदरणीय हरजीत भाई, बहुत मेहनत की है आपने इस ग़ज़ल पर....हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये
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