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आदरणीय साहित्य प्रेमियों

सादर वन्दे,

"ओबीओ लाईव महा उत्सव" के २१ वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है. पिछले २० कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने २०  विभिन्न विषयों पर बड़े जोशो खरोश के साथ और बढ़ चढ़ कर कलम आजमाई की. जैसा कि आप सब को ज्ञात ही है कि दरअसल यह आयोजन रचनाकारों के लिए अपनी कलम की धार को और भी तेज़ करने का अवसर प्रदान करता है, इस आयोजन पर एक कोई विषय या शब्द देकर रचनाकारों को उस पर अपनी रचनायें प्रस्तुत करने के लिए कहा जाता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है:-

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक २१     

विषय - "नयन"

आयोजन की अवधि- ७ जुलाई २०१२ शनिवार

से

९ जुलाई २०१२ सोमवार तक  

तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दे डालें अपनी कल्पना को हकीकत का रूप, बात बेशक छोटी हो लेकिन घाव गंभीर करने वाली हो तो बात का लुत्फ़ दोबाला हो जाए. महा उत्सव के लिए दिए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है |


उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है: -

  1. तुकांत कविता
  2. अतुकांत आधुनिक कविता
  3. हास्य कविता
  4. गीत-नवगीत
  5. ग़ज़ल
  6. हाइकु
  7. व्यंग्य काव्य
  8. मुक्तक
  9. छंद  (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका इत्यादि) 

 

अति आवश्यक सूचना :- "OBO लाइव महा उत्सव" अंक- २१ में सदस्यगण  आयोजन अवधि में अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ  ही प्रस्तुत कर सकेंगे | नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा गैर स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटा दिया जाएगा, यह अधिकार प्रबंधन सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी |

 

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो शनिवार ७ जुलाई लगते ही खोल दिया जायेगा ) 

 

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"महा उत्सव"  के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...

"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

मंच संचालक

धर्मेन्द्र शर्मा (धरम)

(सदस्य कार्यकारिणी)

ओपन बुक्स ऑनलाइन  

 

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Replies to This Discussion

हहाहाहा क्या बात है अरुण जी हास्य रस में डूबी एक श्रेष्ठ रचना बहुत बहुत पसंद आई इन पंक्तियों को पढ़कर तो मजा ही आ गया 

आह भरूँ और दुखड़ा जब भी बतलाऊँ
करती हो तुम झींगालाला प्राणप्रिये |
भैया तेरा नहीं उधारी लौटाता
कहती, निपटो जीजा-साला प्राणप्रिये |

 

तिरछी - नजरें कभी कटारी होती थीं
अब दिल में घुसता है भाला प्राणप्रिये |
बुझे - बुझे से नैन , उदासी गहराई
जीवन अपना गड़बड़ झाला प्राणप्रिये |

अब निपटो जीजा साला प्राण प्रिये ...वाह वाह आनंद दाई अरुण जी ..ऐसा भी होता है काश अब लोगों के नयन खुल जाएँ ...भ्रमर ५ 

नयनों का होकर मतवाला प्राणप्रिये
जल्दी से शादी कर डाला प्राणप्रिये |    //    खुद को मैं ब्याहुत कर डाला प्राणप्रिये ..

वस्तुतः शादी कर डाली ..

फिर आता हूँ, आदरणीय .. . 

सादर

'आता' कहकर चले कहाँ , हे सौरभ जी

राह निहारे 'अरुण' यहाँ  , हे सौरभ जी

आ. अरुण निगम जी
मैं भी एक पंक्ति देने का साहस कर रही हूँ...
 
नयनों का होकर मतवाला प्राण प्रिये.
जल्दी से डाली वरमाला प्राण प्रिये..
सादर.
 

ये ’आता हूँ’ गुजराती भाइयों वाले ’आउजो’ का नक्शा है.  जाने वाले को कहते हैं  ’आउजो’  .. .

आदरणीय निगम जी, ये रचना एक फुहार की तरह आई है इस मंच पर....हास्य और वेदना का ऐसा संगम कम ही देखने को मिलता है...

हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये...

आदरणीय धर्मेंद्र जी , हास्य के नाम पर गीत लिख तो दिया मगर लिखने के बाद लगा कि दर्द भरा गीत लिख दिया है. आपने हास्य और वेदना को अपने  नयनों  से पढ़ लिया तो लेखन सफल हो गया.

//नयनों का होकर मतवाला प्राणप्रिये
जल्दी से शादी कर डाला प्राणप्रिये |

(गठबंधन फ़ौरन कर डाला प्राणप्रिये |)

तिरछी - नजरें कभी कटारी होती थीं
अब दिल में घुसता है भाला प्राणप्रिये |

बुझे - बुझे से नैन , उदासी गहराई
जीवन अपना गड़बड़ झाला प्राणप्रिये |//

वाह निगम साहब वाह बहुत ही मजेदार व शानदार ग़ज़ल कही है आपने ....

पीपे में क्यों अपने दिल को खोज रहा,

बेदिल, आज नहीं दिलवाला, प्राणप्रिये|

हार्दिक बधाई आदरणीय .....सादर

ये क्या बात हुई अरुण निगम जी.......
शादी जल्दी हो गयी तो गीत गा रहे हो ?
यानि उनके घावों  पर नमक लगा रहे हो जिनकी नहीं हुई........
ये अच्छी बात नहीं है..........हा हा हा हा

नयनों का होकर मतवाला प्राणप्रिये
जल्दी से शादी कर डाला प्राणप्रिये |
कुछ सालों तक चलीं मस्तियाँ नैनों की
निकला फिर मेरा दीवाला प्राणप्रिये |

___मज़ा आ गया भाईजी........
__बधाई !

//यानि उनके घावों  पर नमक लगा रहे हो जिनकी नहीं हुई........
ये अच्छी बात नहीं है..........
//

बहुत खूब .....हा हा हा हा

और नहीं तो क्या
बेचारे मुख्य मंत्री बनगए
प्रधान मंत्री बन गए
राष्ट्रपति बन गए 
__बस एक अदद पति ही न बन सके
__उनके घाव  पर नमक लगा रहे हैं वो भी आयोडीन युक्त !

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"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
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"अवश्य आदरणीय.. "
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