आदरणीय साथिओ,
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आदरणीय आसिफ जैदी जी आप ने बहुत उम्दा विषय उठाया है. इस तरह की घटना भारत में नहं होती है. यहां तो तलाक झगड़ों की वजह से होते हैं. आप को इस नए विषय की ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिए मेरी दिलीमुबारकबाद कबूल कीजिएगा.
आदरणीय Omprakash Kshatriya जी बहुत बहुत शुक्रिया आपकी तवज्जो का सादर ।
हार्दिक बधाई आदरणीय आसिफ़ ज़ैदी साहब जी।बेहद गंभीर मुद्दे को कितने शालीन तरीके से उठाया है । बेहतरीन लघुकथा।
आदरणीय तेज वीर जी बहुत बहुत शुक्रिया सादर ।
आदरणीया रेनू मिश्रा जी बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूँ सादर ।
आदाब। .... यह शैली भी ख़ूब जमी इस गोष्ठी में! एक क़िस्सा घर का.. और एक वायरल समाचार का! दोनों के सम्मिश्रण से बढ़िया उम्दा दिलचस्प सकारात्मक संदेशवाहक सृजन। हार्दिक बधाई जनाब आसिफ़ ज़ैदी साहिब। शीर्षक भी रोचक/आकर्षक हो सकता था! टंकण संबंधित सुधार की आवश्यकता रह गई है।
हमारे देश में विवाह संस्था बहुत पुख्ता है। छोटी छोटी नोकझोंक उसे कमजोर नहीं करती हैं। बहुत सुन्दर रचना हार्दिक बधाई
स्त्री की बात
विभाग की तरफ़़ से हो रहे सर्वेक्षण के पूरा होने के बाद, जूनियर स्टॉफ सदस्यों को विश्लेषण के लिए लगा दिया गया। इस टीम के लिए एक पुरुष व महिला चुनी गई.
दो दिनों के बाद वरिष्ठ अध्यापकों के सामने सर्वेक्षण का परिणाम रखना था । मगर जूनियर स्टॉफ के मन में परिणाम देख कर पहले ही कुछ सवाल पैदा हो गए थे।
पहला सवाल जो मन में आया कि इक वर्ष से कम उम्र के पुरुषों बच्चों की तुलना महिला बच्चों की संख्या अधिक कैसे हो गईl
जब के ये बात उनकी सोच के उल्ट लगी, जब कि उन्होंने भ्रूण हत्या के बारे बहुत सुना था, और ये भी अजीब के बस्ती में इनकी संख्या ज्यादा है l
जब एक वर्ष से पांच वर्ष के बाद बच्चों के नंबर में अनुपातक कमी है।
ये संख्या किशोरों में भी तो परेशान करती, लेकिन प्रजनन अवधि आयु वाली महिलाओं के समूह में यह अँकड़ा अधिक परेशान करने वाला है।
मगर परिणाम ये दिखाता है कि अधिक उम्र के बाद ये संख्या अनुपात उलट जाता है। सीनियर्स ने यही सवाल टीम की महिला सदस्य के सामने रखा, "आप बताएँ ऐसा क्यों है।"
तब वरिष्ठ ने कुछ आयु वर्ग में रिवर्स अनुपात अन्य आयु वर्ग में नहीं, को समझाने की कोशिश करते हुए कहा, " महिला पुरुष समकक्ष की तुलना में जैविक अधिक मज़बूत है। लेकिन लैंगिक असमानता के कारण रिवर्स अनुपात हमारे समाज में देखने को मिलता है। अगर ऐसा होता है तो ये सामाजिक अन्याय है, यदि हम सामाजिक स्तर पर सुधारात्मक उपाय करते हैं, तभी महिलाओं की समस्याएँ कम होंगी और मृत्यु दर भी कम होगी। और उनको न्याय मिल पायेगा l
तब महिला जूनियर तसल्ली महसूस कर अपने मर्द मेंबर से बात करने लगी। ऐसा लगा जैसे उनको ख़ुद और उनके मर्द साथी को समझ आ गई हो। "मगर इस के लिए संघर्ष करना होगा", वरिष्ठ अध्यापक ने कहा l
"मौलिक व अप्रकाशित"
आदरणीय मोहन बेगोवाल जी बहुत बहुत बधाई अच्छी प्रस्तुति के लिए सादर ।
सरकारी आँकड़ों के अनुसार अलग अलग आयु र्वग में र्स्त्री पुरुष अनुपातों पर लिखी गई एक शानदार कथा। हार्दिक बधाई आपको। प्रकृति मे स्त्री का सरवाइवल रेट अधिक होता है ये एक स्थापित जैविक सत्य है। वैसे कथा में थोड़ी और स्पष्टता की दरकार है।
हार्दिक बधाई आदरणीय मोहन बेगोवाल जी।बेहद गंभीर लघुकथा।
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