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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-4 (विषय: बुनियाद)

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर वन्दे।
 
यह बहुत ही हर्ष का विषय है कि "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के पहले तीनो आयोजन बेहद सफल रहे। नए पुराने सभी लघुकथाकारों ने बहुत ही उत्साहपूर्वक इनमें सम्मिलित होकर इन्हें सफल बनाया। न केवल उच्च स्तरीय लघुकथाओं से ही हमारा साक्षात्कार हुआ बल्कि एक एक लघुकथा पर भरपूर चर्चा भी हुई। गुणीजनों ने न केवल रचनाकारों का भरपूर उत्साहवर्धन ही किया अपितु रचनाओं के गुण दोषों पर भी खुलकर अपने विचार प्रकट किए।  यह कहना कोई अतिश्योक्ति न होगी कि यह आयोजन लघुकथा विधा के क्षेत्र में मील के पत्थर साबित हुए हैं । तो साथियो, इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है....
 
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-4  
विषय : "बुनियाद"
अवधि : 30-07-2015 से 31-07-2015 
(आयोजन की अवधि दो दिन अर्थात 30 जुलाई 2015 दिन गुरूवार से 31 जुलाई 2015 दिन शुक्रवार की समाप्ति तक)
 (फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 30 जुलाई 2015, दिन गुरूवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
.
अति आवश्यक सूचना :-
१. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक सर्वश्रेष्ठ लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
२.सदस्यगण एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
३. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
४. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
५. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी लगाने की आवश्यकता नहीं है।
६. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
७.  नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
८. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
९. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं। रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें।
१०. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

हार्दिक धन्यवाद मीनाजी..

आदरणीय सौरभ  जी, बहुत ही चुभती हुई  लघुकथा,बधाई!जब गॉव में अपने मॉ बाप को छोडा था तभी तय हो गया थ कि हमारे साथ भी यही होगा!अति उत्तम , शान्दार!

आदरणीय तेज़वीर सिंहजी, अपने रचना का मर्म समझा. मेरे प्रयास् को मान मिला. 

सादर धन्यवाद

आदरणीय सौरभ सर, आज की जीवनशैली में जो बुनियादी सिद्धांत धराशायी हुए है ये उनमे से एक है. कारण जो भी हो, जैसा भी हो लेकिन 'अलग सेटल' हो जाते है और यह प्रक्रिया आगे बढती है तो अपने किये की याद आती है. पंचलाइन ने अपना पूरा प्रभाव दिखाया है और पाठक को गहरे तक प्रभावित किया है. सफल लघुकथा की इस सशक्त प्रस्तुति पर बधाई.

आदरणीय मिथिलेशभाईजी, आपने संवेदना के साथ प्रस्तुति के मर्म को छूने का प्रयास किया है. आपका अनुमोदन आश्वस्तिकारी है. 

हार्दिक धन्यवाद

मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार सर.

अक्षरशः सही कहा आपने लघुकथा के माध्यम से ।अपने किए कर्मों का ग्यान भी तभी होता है जब स्वयं पर पड़ती है। बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय। अपने मन को मनाना ही शेष रहता ह॥ सुन्दर अभिव्यक्ति आ. सौरभ पांडे जी। बधाई सुन्दर रचना के लिए।

आदरणीया नीरज शर्माजी, आपके अनुमोदन ने आश्वस्त किया है. हार्दिक धन्यवाद

आदरणीय सौरभ सर  प्रदत शीर्षक पर प्रस्तुत लघु कथा ने उसमें निहित मार्मिक भाव ने नेत्रों के कोने भिगो दिए। अंतिम पंक्ति ''गुप्ताजी ने देखा, रोहिणी की आँखें पूरी तरह से डबडबायी हुई थीं."पगली.. इन घड़ियों की बुनियाद तो उसी दिन पड़ गयी थी, जब हम गाँव में अम्मा-बाबूजी को छोड़ यहाँ सेटल हो गये थे.. बाबूजी कितना..  पर.. " में छुपा कथा सार बुनियाद की गहनता को लिए है।  इस प्रस्तुति के लिए दिल से हार्दिक बधाई कबूल फरमाएं आदरणीय सर। 

आदरणीय सुशील सरनाजी, आपको प्रयास रुचिकर लगा इसके लिए धन्यवाद.

आदरणीय सौरभ जी, बुनियाद विषय को छूती, और  एक कटु सत्य को उजागर करती आपकी इस लघु - कथा पर हार्दिक बधाई आपको ! 

भाई सचिनदेवजी, यदि मेरा प्रयास रुचिकर लग रहा है तो यह आपसबों का सान्निध्य ही है. 

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हार्दिक धन्यवाद

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