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ग्रीष्म सत्र -2013 हेतु ओपन बुक्स ऑनलाइन प्रबंधन टीम व कार्यकारिणी टीम का पुर्नगठन...

प्रिय ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सदस्यो !
यथोचित अभिवादन ।

आज आपका ओ बी ओ परिवार चौथे वर्ष में प्रवेश कर गया है । बड़े ही हर्ष के साथ कहना है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन के बेहतर संचालन हेतु आज दिनांक 01 अप्रैल 2013 से "ग्रीष्म सत्र" के लिए पुर्नगठित "ओपन बुक्स ऑनलाइन प्रबंधन टीम"  तथा "ओपन बुक्स ऑनलाइन सदस्य कार्यकारिणी" प्रभावी हो गई है |

साथियो, डॉ प्राची सिंह जी, जो विगत सत्र में कार्यकारिणी सदस्या के रूप में थीं, को ओ बी ओ परिवार के प्रति उनके समर्पण और सहित्य-सेवा के प्रति सजगता को देखते हुए इस बार उन्हें "ओ बी ओ प्रबंधन टीम" में जगह दी गई है । 

"ओ बी ओ कार्यकारिणी टीम" में भी बदलाव हुआ है । जहाँ एक तरफ श्री अशोक रक्ताले जैसे वरिष्ठ व अनुभवी व्यक्तित्व को शामिल किया गया है, वहीं दो युवा,  ऊर्जस्वी एवं ओ बी ओ के प्रति समर्पित हस्ताक्षरों  --श्री संदीप पटेल ’दीप’ और श्री विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी ’विनय’--  को शामिल किया गया है ।   

प्रबंधन व कार्यकारिणी सदस्यों को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ | उम्मीद है,  आप सबकी निगेहबानी में ओ बी ओ नित्य नई ऊँचाइयों को प्राप्त करेगा |

 

गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

ओपन बुक्स ऑनलाइन प्रबंधन टीम

*(ग्रीष्म सत्र - २०१३)

गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक

योगराज प्रभाकर
प्रधान संपादक

 

सौरभ पाण्डेय
सदस्य टीम प्रबंधन

राणा प्रताप सिंह
सदस्य टीम प्रबंधन

डॉ प्राची सिंह
सदस्य टीम प्रबंधन

***

ओपन बुक्स ऑनलाइन सदस्य कार्यकारिणी

*(ग्रीष्म सत्र - २०१३)


अशोक कुमार रक्ताले सतीश मापतपुरी राजेश कुमारी

 

संदीप कुमार पटेल
विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय
सीमा अग्रवाल संजय मिश्र "हबीब"

*ग्रीष्म सत्र 2013( 01 अप्रैल -13 से 30 सितम्बर -13 तक )

नोट :- उक्त सभी पद स्वैच्छिक व अवैतनिक है । 

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ओपन बुक ओन लाइन के प्रबंधन टीम के सभी सदस्यों और कार्यकारिणी टीम के सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई ओ बी ओ के सफलतम तीन वर्ष पूर्ण होने पर सभी को  बधाई और शुभकामनायें |आदरणीय गणेश बागी जी शुभ सूचना हेतु एवं मुझे दुबारा ओ बी ओ की सेवा का अवसर देने हेतु हार्दिक आभार एवं बधाई| 

आदरणीया राजेश कुमारीजी, आपके मार्गर्शन तथा गुरुगंभीर उपस्थिति से यह मंच पूर्ववत लाभान्वित होता रहेगा इसका पूर्ण विश्वास है.

नये सत्र में आपका हार्दिक स्वागत है.

सादर

नव चयनित सदस्यों को बधाई। प्राची बहन को पदोन्नति की बधाई।
ओ बी ओ चैथे वर्ष में नई ऊंचाइयों को छुए ऐसी ईश्वर से कामना है।

समस्त प्रबंधन टीम और ओ बी ओ परिवार को अपने तीन वर्ष पूर्ण करने पर बहुत बहुत बधाई तथा शुभकामनाएं

मुझे इस बार कार्यकारिणी में शामिल कर मान देने हेतु सादर आभार

स्नेह और आशीष अनुज के प्रति यूँ ही बनाये रखिये

भाई संदीपजी, आपकी अहम मौज़ूद्ग़ी इस मंच पर एक प्रारंभ से देखी जारही है. आपने जिस तरह से श्रद्धानत होकर काव्य प्रयास में समय दिया है उसका आपको रचनाकर्म में उचित प्रतिफल भी मिला है. यों साहित्याकाश अत्यंत ही विस्तृत है.

मैं प्रधान सम्पादक तथा मुख्य प्रबन्धक को कोटिशः धन्यवाद देता हूँ कि कार्यकारिणी में आपका नाम सम्मिलित कर मंच के उत्तरोत्तर विकास हेतु सधा हुआ कदम उठाया है. आपसे बहुत अपेक्षाएँ हैं, भाईजी.

.

आदरणीय गुरुदेव आशीर्वाद बनाये रखिये मैं आपकी अपेक्षाओं में खरा उतरने का निरंतर प्रयास करता हूँ और आगे भी करता रहूँगा ,,,,,,,,,,,सादर आभारी हूँ आपका

आदरणीय मुख्य प्रबंधक महोदय,

साहित्य सागर में एक बूँद बराबर( शायद इससे भी कम) योगदान को आपने मान दिया और मुझे इस दायित्व के योग्य समझा... इस मान के लिए मैं आपकी और मंच की हृदय से आभारी हूँ. मैंने रचनाकर्मिता हेतु जो कुछ भी लिया है , ओबीओ के पावन मंच से ही लिया है, किसी भी रूप में मंच को अपना सकारात्मक योगदान दे सकूं तो मुझे अपार प्रसन्नता होगी... इस सेवा का अवसर मुझे अब दे दिया गया है,तो बस यही कामना है कि परस्पर सहयोग और माँ शारदे की कृपा से मैं मंच द्वारा मुझ पर रखे गए विश्वास का मान रख सकूँ.

कार्यकारिणी समिति में नए सदस्यों आदरणीय श्री अशोक रक्ताले जी का, संदीप पटेल जी का, और विन्ध्येश्वरी जी का हार्दिक स्वागत है.विश्वास है कि इनके ओजस्वी लेखन, पाठन, मार्गदर्शन और मंच के प्रति समर्पण से मंच की गतिविधिया उत्तरोत्तर और प्रगति की ओर बढेंगी.

प्रबंधन और कार्यकारिणी समिति के सभी सदस्यों का नए सत्र में हार्दिक स्वागत है...

ओबीओ के प्रादुर्भाव दिवस की सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएँ.

सादर.

आदरेया डॉ. प्राची जी सादर आभार साथ ही प्रबंधन टीम सदस्य बनने पर बधाई भी स्वीकारें.

 

डॉ, प्राची, आपकी साहित्य साधना, कर्मठता, निर्विकार संलग्नता समस्त सदस्यों के लिए अनुकरणीय है. ज्ञान सहज तभी तक है जबतक वह नियंत्रित और संप्रेष्य है. अन्यथा वह कई नकारात्मक भावों का वाहक हो जाता है. ज्ञान का विशिष्ट स्वरूप ही, आदरणीया, विज्ञान है, जिसमें श्रद्धा का प्रभास हो तो वह अलौकिक उद्भास का कारण हुआ करता है. इसी उद्भास की आवश्यकता किसी परिवार, किेसी मंच, किसी संस्था, किसी समाज या किसी राष्ट्र को होती है. ज्ञानजनित अहंकार तमस का पर्याय होता है जिससे अवांछित पौरुष का ताव अवश्य सध जाय, किसी सजग इकाई का भला कत्तई नहीं होता, आपका नत सहयोग सार्थक तो है ही अनुकरणीय भी है. 

आपके सहयोग तथा मार्गदर्शन की मंच को अवश्य ही अपेक्षा रहेगी.

आपका प्रबन्धन समिति में सहर्ष स्वागत है.

सादर

सादर आभार आदरणीय.

आदरणीय बागी जी (संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक) आदरणीय प्रभाकर जी (प्रधान सम्पादक) आदरणीय गुरुदेव श्री सौरभ जी एवं आदरणीय अम्बरीश जी को, मैं जब से मंच से जुडा हूँ, तब से नए सदस्यों के प्रति अपार स्नेह बांटता पाया है. जब कभी मैं अपनी पुरानी रचनाओं के साथ आज की रचनाओं को देखता हूँ तो  मंच के इन्ही सब महानुभावों के प्रति मेरा सिर आदर से झुक जाता है.मुझे आशा है आगे भी सभी सदस्यों को इन सबों का ऐसा ही स्नेह मिलता रहेगा.

 

आज मुझे अपार हर्ष के साथ गौरव की अनुभूति हो रही है कि मैं इस मंच पर कार्यकारिणी में स्थान पा सका. मैं चयन समिति में सम्मिलित सभी महानुभावों को विश्वास दिलाता हूँ कि मैं अपने उत्तरदायित्वों का आपकी आशानुरूप निर्वहन करूंगा.

मैं मेरे साथ ही कार्यकारिणी में चुने गए सदस्य भाई संदीप जी और भाई विन्ध्येश्वरी जी को भी बधाई देता हूँ साथ ही आदरेया डॉ. प्राची जी को भी प्रबंधन समिति में पदोन्नत होने पर बधाई देता हूँ.

आदरणीय अशोक जी, आपका मंच की कार्यकारिणी समिति में स्वागत करते हुए सही कहिये सभी सदस्यों को अपार प्रसन्नता हो रही होगी. आपका सतत एवं दीर्घकालिक रचना-प्रयास आपके काव्य प्रभाव को बहुगुणित तो कर ही रहा है इस मंच की साहित्य के प्रति निष्ठा और सकारात्मक उद्येश्य के प्रति समर्पण को भी रेखांकित कर रहा है.

आपका कहना, आदरणीय, बिल्कुल सही है कि मंच की गतिविधियाँ और उदार माहौल काव्यकर्म में उत्तरोत्तर विकास का कारण बना है. इसके साथ ही यह भी निवेदन करना सामयिक होगा कि सीखने की प्रक्रिया श्रद्धाभाव से सधती है. भाषागत समस्त सीमाओं के बावज़ूद आपने जिसतरह से हिन्दी भाषा में लेखनकर्म को मनोवांछित आयाम देने का प्रायस किया है वह हम सभी के लिए चकित करनेवाला मुग्धकारी दर्शन है.

आपकी उपस्थिति में कार्यकारिणी समिति आवश्यक व्यवहार और साहित्यकर्म में पूर्णतया निरत हो पायेगी, इसका पूर्ण भान है,

आपका समिति में सादर स्वागत है

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