For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-145

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 145वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा जनाब जोश मलीहाबादी साहब की गजल से लिया गया है|

" लोग कहते हैं कि तुम ने मुझे बर्बाद किया "

2122    1122    1122    112        

 फ़ाइलातुन  फ़इलातुन  फ़इलातुन  फ़इलुन/फ़ेलुन

बह्र: रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़

 

रदीफ़ :-  किया

काफिया :- आद(बर्बाद, आबाद, आज़ाद, इरशाद, ईजाद, नाशाद, याद आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनांक 28 जुलाई दिन गुरुवार को हो जाएगी और दिनांक 29 जुलाई दिन शुक्रवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 28 जुलाई दिन गुरुवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन

बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

मंच संचालक

राणा प्रताप सिंह 

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 1384

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आ. रिचा जी, तरही मिसरे पर अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

आदरणीय आभार आपका

सादर

नमन, आदरणीया, मतले का ऊला, मुआफ करें,  मुझे अटपटा लगा । ' एक अरसा हुआ जब तुमने मुझे याद किया', अपेक्षाकृत बेहतर विकल्प होगा।तीसरे शे'र का सानी  "तरह" को आप  ( 21) पर ले रही हैं। आपका  " तखल्लुस" र"रिया" सम्पूर्ण होगा, जिसका  विच्छेदन नहीं किया जा सकता। 

आदरणीय त्रुटियों से अवगत कराने के लिये आभार आपका

सुधार का प्यास करती हूँ

सादर

2122 1122 1122 22

हम ने ख़ुद को तो हक़ीक़त से यूँ आज़ाद किया

वक़्त कुछ सोने में कुछ ख़्वाबों में बर्बाद किया /1

खेल ये कैसे फ़क़ीरों ने यहाँ खेले हैं 

घर को वीरान किया दश्त को आबाद किया /2

मेरे इन तंज़ के तीरों से बचा कोई नहीं

ख़ुद को भी बख़्शा नहीं ख़ुद को भी नाशाद किया /3

कुछ ज़रूरत पड़ी है या कोई काम आया है

मुद्दतों बाद मुझे आप ने क्यों याद किया /4

मेरे होने की ख़बर तक नहीं तुम को फिर क्यों 

"लोग कहते हैं कि तुम ने मुझे बर्बाद किया" /5

'तल्ख़' तो हैराँ हुए वक़्त की तख़्लीक़ों से

टूटी चाबुक तो सितम दूसरा ईजाद किया /6

(मौलिक एवम अप्रकाशित) 

आदरणीय 

बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार कीजिये।

4th वाहह

सादर

आदरणीय संजय शुक्ला जी, सुंदर गज़ल के लिए हार्दिक बधाई।

आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। तरही मिसरे पर बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

आदाब,  "तल्ख" साहब,  गज़ल बेहतर हुई है । बधाई  !

है ।

2122 1122 1122 112

जख्म दे कह दिया जाओ तुम्हें आज़ाद किया
बांट कर देश को उसने हमें बरबाद किया

मत गिराओ ये पुराने किले सद्भाव भरे
साथ जीना यहाँ तो क्यों हमें नाशाद किया

कोशिशें तो हमें मिलकर अभी करनी होगी
बिन मुहब्बत के किसी ने किसे आबाद किया

खाइयाँ बीच हमारे है बहुत गहरी भरी
पाटना खूब कठिन हम ने ही फौलाद किया

खूनी सैलाब में बह मत जाना ‘मेठानी’ तुम
हम नहीं जानते किस किस को है जल्लाद किया

गिरह
सिर्फ कुछ गीत लिखे तेरी अदा पर मैने
लोग कहते हैं कि तुमने मुझे बर्बाद किया

- दयाराम मेठानी
(मौलिक व अप्रकाशित)

आदरणीय दयाराम जी, अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें

आदरणीय संजय शुक्ला जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक अभार।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-96 (विषय: अनुभव)
"स्पीड (लघुकथा): परीक्षा मूल्यांकन कार्य स्थल में परीक्षकों के बीच ब्रेक टाइम वार्तालाप : "अरे…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

तितली ( दोहे ) - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

आ जाती हैं  तितलियाँ, होते ही नित भोरसब को इनकी सादगी, खींचे अपनी ओर।१।*मधुवन में जब तितलियाँ, बहुत…See More
7 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-96 (विषय: अनुभव)
"आदरणीय अजय जी,विषय तो बहुत ही मार्मिक है।इसे और मार्मिकता से पिरोने की जरूरत है।भाषा की…"
10 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-96 (विषय: अनुभव)
"आदरणीय मोहन जी,एक अति महत्वपूर्ण विषय का प्रतिपादन हुआ है। हां,लघुकथा को सही रूप देने के लिए कुछ और…"
10 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-96 (विषय: अनुभव)
"आदरणीय भाई अरुण जी,सहभागिता एवं प्रयास हेतु बधाई। हां, ओबीओ पर ही एक बार लघुकथा की कक्षा में…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-96 (विषय: अनुभव)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आपका और  विषयांतर्गत आपके इस भावपूर्ण प्रेरक संस्मरण का। हार्दिक…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-96 (विषय: अनुभव)
"आदाब। इस बार विषयांतर्गत विविधता लिये रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। रचना के अंदर…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-96 (विषय: अनुभव)
"नमस्कार। विषयांतर्गत संस्मरणात्मक बढ़िया भावपूर्ण रचना हेतु मुबारकबाद आदरणीय मोहन बेगोवाल साहिब।…"
10 hours ago
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-96 (विषय: अनुभव)
"* जिद्द *मेरी उम्र के अनुसार मेरे अनुभव जो मैंने अपनी वयानुसार देखे समझे व् व्यतीत किये अधिकाधिक १०…"
13 hours ago
Dr. Geeta Chaudhary commented on Dr. Geeta Chaudhary's blog post कविता: "एक वज़ह"
"आभार सर आपका..."
15 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on नाथ सोनांचली's blog post ग़ज़ल (गर आपकी ज़ुबान हो तलवार की तरह)
"क्या ही खूब ग़ज़ल कही है आदरणीय सोनांचली जी..."
17 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on मनोज अहसास's blog post अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास
"वाह वाह आदरणीय मनोज जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही..."
17 hours ago

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service