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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-121

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 121वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब  शकील बदायूंनी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

"दिन तो होता है मगर रात नहीं होती है "

2122     1122 1122     22

फाइलातुन          फइलातुन      फइलातुन      फेलुन/फइलुन

(बह्र:  रमल मुसम्मन मख्बून मक्तुअ )

रदीफ़ :- नहीं होती है।
काफिया :- आत ( बात, रात, मुलाक़ात, बरसात, मात, ज़ात, करामात, खुराफ़ात  आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 24  जुलाई दिन शुक्रवार  को हो जाएगी और दिनांक 25 जुलाई  दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 24 जुलाई  दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
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मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

आदरणीया राजेश कुमारी जी ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति के लिए बहुत आभारी हूं, आपके ये शब्द मेरा हौसला बढ़ाते हैं आदरणीय,आगे भी स्नेह एवं आशीर्वाद बनाए रखें, बहुत धन्यवाद आभार आपका आदरणीया।

काम कुछ कर के दिखाना है तो कोशिश कीजै
बैठे बैठे तो शुरूआत नहीं होती है......................बहुत सुंदर भाव। संदेश परक गज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय डिम्पल शर्मा जी।

आदरणीय Dayaram Methani जी , आपकी उपस्थिति और आपके ये आशीर्वाद स्वरूप शब्द मेरा हौसला बढ़ाते हैं आदरणीय, कृपा दृष्टि एवं स्नेह बनाए रखें।

मुहतरमा डिंपल शर्मा जी
आदाब
एक बेहद उम्दा तरही ग़ज़ल के लिए दाद और मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ.सादर.

आदरणीय सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति के लिए हृदय तल से आभार आपका, आपकी सराहना मेरा हौसला बढ़ाती है, स्नेह बनाए रखें आदरणीय।

मुहतरमा डिम्पल शर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, बधाई स्वीकार करें ।

आदरणीय उस्ताद मोहतरम आदाब चरण स्पर्श, ये सब आपके मार्गदर्शन और आशीर्वाद का नतीजा है उस्ताद मोहतरम, आपको मेरे ईश्वर ने भेजा है मेरा हाथ थाम मुझे सही मार्ग बताने के लिए, आपका शुक्रिया शब्दों में मुमकिन नहीं बस इतना ही कहूंगी आप अपना आशीर्वाद भरा हाथ हमेशा मेरे सर पर यूँ ही बनाए रखें और मुझे अपने स्नेह से नवाजते रहें, ये सारी वाह वाही आपके आशीर्वाद का ही नतीजा है उस्ताद मोहतरम , नतमस्तक हो कर प्रणाम आपको उस्ताद मोहतरम।

आद0 डिम्पल शर्मा जी सादर अभिवादन, इस उम्दा ग़ज़ल पर आपको हार्दिक बधाई पेश करता हूँ।

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह'कुशक्षत्रप'जी नमस्कार, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति के लिए हृदय तल से आभार, स्नेह बनाए रखें और मार्गदर्शन करते रहें आदरणीय।

मुहतरमा डिम्पल शर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

आदरणीय अमीरुद्दीन'अमीर'साहब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति के लिए हृदय तल से आभारी हूं आदरणीय, आपकी सराहना हौसला बढ़ाती है, कृपा दृष्टि एवं आशीर्वाद बनाए रखें।

आ. डिम्पल शर्मा जी, सुन्दर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

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"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
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"धन्यवाद आ. समर सर. पता नहीं मैं इस ग़ज़ल पर आई टिप्पणियाँ पढ़ ही नहीं पाया "
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