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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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आद0 भाई योगराज प्रभाकर जी सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत और प्यारी सी ग़ज़ल। 

डांट के साथ प्यार बेटी का

याद माँ की दिला गया है मुझे

यह शैर काबिले तारीफ.......

बहुत बहुत बधाई आपको। सादर

हार्दिक आभार भाई सुरेन्द्रनाथ जी. 

'जाम ऐसा दिया गया है मुझे तिश्नगी से मिला गया है मुझे।' लगता है मतला ही पूरी गजल कहने में समर्थ है।दाद और बधाइयाँ आदरणीय योगराज जी।

इस ज़र्रानवाज़ी का दिल से शुक्रिया आ० मनन कुमार सिंह जी. 

चाँद अब मुझसे खार खाएगा
क्यों तू जुगनू बता गया है मुझे--------- क्या कहन है साहिब, जिंदाबाद 

देख पाऊँ न सुन सकूँ कुछ भी
गो अदालत कहा गया है मुझे--------- आय हाय हाय !! दो मिसरों में न्याय की दुनिया को समेट दिया है. 

डाँट के साथ प्यार बेटी का
याद माँ की दिला गया है मुझे--------बेहद नाजुक शेर, इस शेर को तो बेटी वाला ही समझ सकता है, हासिले ग़ज़ल शेर, जय जय। 

ज़ुल्म सहना भी आ ही जाएगा
सब्र करना तो आ गया है मुझे-------शानदार गिरह, बुढ़ाई के असर लउकत बा दादा।
शानदार ग़ज़लगोई, बहुत बहुत बधाई आदरणीय गुरुदेव योगराज जी.

हौसला अफज़ाई का दिल से मशकूर हूँ चाचा जी, बच्चे पर यूँ ही कृपा दृष्टि बनाए रखिए.

का दद्दू , चच्चा कह बच्चा क जान लेंगे ??

जब से अपना बना गया है मुझे ।
खौफ़ ए फुर्कत ही खा गया है मुझे ।

अब उमीदों का मुझ पे बोझ नहीं ,
हारना रास आ गया है मुझे ।

जीने के सीख लूँगा और भी ढंग ,
"सब्र करना तो आ गया है मुझे।"

कैसे उस अजनबी को ग़ैर कहूँ ,
वो जो मुझसे मिला गया है मुझे ।

तेरी तस्वीर - चहरा हँसता हुआ ,
आज फ़िर से रुला गया है मुझे ।

सुनने आया था वो कहानी मेरी ,
अपना क़िस्सा सुना गया है मुझे ।

इश्क़ ए नाकाम का फ़साना हूँ ,
ख़ूब लिक्खा पढ़ा गया है मुझे ।

.
(मौलिक व अप्रकाशित )

बहुत ख़ूब आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी। 

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया अंजली गुप्ता जी 

आदरनीय गुरप्रीत भाई, बहुत सुंदर बधाई हो 

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मोहन बेगोवाल जी 

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