For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1-
जितना जब भी जो बचा, खाया सबके बाद।
फिर भी उसने की नहीं, जीवनभर फरियाद।।
जीवनभर फरियाद, नहीं करती यह नारी।
किंतु वृद्ध असहाय, वही अपनों से हारी।।
कहते कवि हरिओम,ध्यान रखना बस इतना।
माँ का प्रेम अनंत, गहन सागर के जितना।।
2-
जिनके जीवन में करे, माँ खुशियाँ अपलोड।
वृद्धावस्था में वही, बदल रहे हैं मोड।।
बदल रहे हैं मोड, मगर माँ तो माँ होती।
करके उनको याद, बैठ आश्रम में रोती।।
कोई कर दे क्लीन, वायरस अब तो इनके।
माँ ने कर अपडेट, मोड बदले हैं जिनके।।
(मौलिक व अप्रकाशित)
#हरिओम श्रीवास्तव#

Views: 514

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 31, 2019 at 6:52pm

आदाब। दोनों बेहतरीन भावपूर्ण व संदेशवाहक कुण्डलिया छंदों के लिए बहुत-बहुत बधाई आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव साहिब।

Comment by Samar kabeer on October 31, 2019 at 3:02pm

जनाब हरिओम श्रीवास्तव जी आदाब,अच्छे कुण्डलिया छन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 30, 2019 at 3:42pm

सुंदर कुण्डलिया छंद के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय हरिओम श्रीवस्तव जी | 

//जीवनभर फरियाद, नहीं करती यह नारी।
किंतु वृद्ध असहाय, वही अपनों से हारी।।//  बहुत खूब| भावपूर्ण रचना हुई है जिसके लिए पुनः बधाई \

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील सरनाजी, यदि आप चर्चा की गंभीरता को वाकई समझ रहे हैं तो यह अवश्य ही उचित है, कि संवादो…"
9 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई। 'नाश सृष्टि का…"
10 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और असीम स्नेह के लिए आभार।"
17 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"परम आदरणीय गिरिराज भंडारी जी एवं सौरभ पाण्डेय जी  इस वार्ता को यहीं समाप्त करना  उचित…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय अशोक भाई प्रदत्त विषय पर बढ़िया गीत रचना हुई , हार्दिक बधाइयां "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय अशोक भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"युद्ध हो जाता है तब आवश्यक शांति संदेश जब निरर्थक हों.......सत्य कहा है आपने.   आदरणीय…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"ये झगड़े फिर बढ़ेंगे ध्यान रखना सुलह तो जंग से भी पुर ख़तर है....वाह ! वाह ! आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शान्ति और युद्ध   कारण और अकारण कितने, युद्धों से इतिहास भरा है। वीरों के खोने का दिल…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण भाई आभार आपका "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील भाई .                      …"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई गिरिराज जी, जबरदस्त कहन है। हार्दिक बधाई"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service