For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-106

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 106वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब

हफ़ीज़ जौनपुरी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

"जहाँ में याद रह जाएगा कुछ अपना फ़साना भी"

1222        1222        1222        1222

मुफ़ाईलुन    मुफ़ाईलुन     मुफ़ाईलुन     मुफ़ाईलुन 

(बह्र: हजज़ मुसम्मन सालिम  )

रदीफ़ :- भी   
काफिया :- आना  (फसाना, निशाना, आशियाना, ज़माना, आना, जाना आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 26 अप्रैल  दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 27 अप्रैल दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 26 अप्रैल दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 8094

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय अमित जी आपका तहेदिल से शुक्रिया

जनाब सलीम रज़ा साहिब,

// शर्त-ए-आख़िरी  इज़ाफ़ात ग़लत है//

इज़ाफ़त क्यों ग़लत है भाई, किसी पुराने उस्ताद शाइर का ये शैर देखें:-

'दुश्मनी ऐसी भी क्या कि रब्त-ए-बाहम भी न हो

रंजिशें अपनी जगह,शर्त-ए-वफ़ा अपनी जगह'

अदरणीय,समर साहब अख़िरी शर्त होती है अख़िरी की शर्त नहीं होती , 

शर्ते वफ़ा सही है, शर्त ए अख़िरी नहीं होता साहब..

कोई 1 शेर का हवाला अता करे.. 

// शर्त ए अख़िरी नहीं होता साहब//

क्यों नहीं होता?विस्तार से बताने का कष्ट करें ।

मोहतरम,

कोई शेर जिसमे इस इज़ाफ़ात का इस्तेमाल हो, 

उसका हवाला दें तब तो माने, 

हवाला ऊपर दे चुका हूँ, लेकिन आप बात समझना नहीं चाहते । औऱ मैंने आपसे निवेदन किया था कि आप विस्तार से बताएँ? तो आपको विस्तार से बताना चाहिए कि क्यों नहीं होता? किसी के शैर को ग़लत बताना बहुत आसान होता है,लेकिन उसे ग़लत साबित करना बहुत मुश्किल ।

जनाब माफ़ी चाहता हूं पर आपने, 

शर्ते वफ़ा बातया है इसे तो मैं भी मानता हूं, 

पर हमने अभी तक किसी नज़्म या ग़ज़ल में शर्ते आखिरी नहीं पढ़ा.  

बाक़ी आप कहतें है तो मान लेता हूँ.. 

आप सही कहते हैं शर्त-ए-आखिर होता है आखिरी नहीं , जिस तरह हर्फ़-ए-आखिर, शर्त-ए-अव्वल भी होता है|

बराह-ए- करम 'आख़िर' औऱ "आख़री" का फ़र्क़ भी समझा दें,जनाब राणा साहिब?

 आदरणीय salim sir शर्त-ए-आख़िरी पर यही कहना चाहूंगी कि हम नये लिखने वाले या यूं कह लें कि हिंदी भाषी लोग अच्छे जुमले सीखने के लिए पढ़ने पर निर्भर रहते हैं। अगर कहीं पढ़ा हो तो उसे इस्तेमाल करने का कॉन्फिडेंस रहता है। लेकिन ये इज़ाफ़त ख़ुद ही शेर कहने के दौरान ज़ुबाँ पर आ गयी थी। मैंने कहीं पढ़ी नहीं ।इसीलिए शायद इसका इस्तेमाल आपको कहीं न मिले। लेकिन आ ही गयी तो मुझे  ग़लत भी नहीं लगी। साथ ही ये भी सच है कि मैं दावे से इसे सही नहीं कह सकती क्योंकि उर्दू हमारी अपनी भाषा नही । अतः आप सब गुणीजन की राय पर निर्भर हूँ। उम्मीद है इस चर्चा से कुछ सार्थक सीखने को मिलेगा। सादर

जनाब राणा साहिब मैं आपके जवाब का मुन्तज़िर हूँ ?

ख़ैर, मैं समझाने का प्रयास करता हूँ, "आख़री" शब्द "आख़िर" से मन्सूब है,इसलिए हर्फ़-ए-आख़िर भी सहीह है और हर्फ़-ए-आख़री शब्द भी ग़लत नहीं कहा जा सकता,ठीक इसी तरह 'शर्त-ए-आख़िर' और "शर्त-ए-आख़री दोनों ही सहीह कहे जाएंगे ।

मुहतरम जनाब समर साहिब आ दाब, आख़िर (अरबी), आख़िरी (अरबी , फ़ारसी) का मतलब डिक्शनरी में पिछला या बाद का है , इज़ाफत दोनों में लफ्ज़ शर्त (अरबी) के साथ लग सकती है l यहाँ पर शर्ते वफ़ा (वफ़ा की शर्त) की तरह शर्ते आख़िरी का मतलब आख़िरी की शर्त नहीं है बल्कि आख़िरी शर्त है l जैसे दिले नादां का मतलब नादान का दिल नहीं बल्कि नादान दिल है l अब ये ज़रूरी नहीं कि किसी शायर ने इसे इस्तेमाल किया या नहीं , नियम के अनुसार जायज़ है l मेरे खयाल से अंजलि साहिबा के मिसरे में इज़ाफत सही है l

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service