आदरणीय साथिओ,
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आभार,आदरणीय शहजाद सरजी।
प्रदत्त विषय पर अच्छी लघुकथा कही है आपने आदरणीया बबिता जी. बाकी आदरणीय शेख़ शहजाद उस्मानी जी ने कह ही दिया है. उनकी बात से मैं भी सहमत हूँ. मेरी तरफ़ से भी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
आभार महेंद्र सरजी।
बेतुकी और अर्थहीन परम्पराओं को ख़त्म करने की जरुरत है आज के समाज में, बढ़िया सन्देश देती रचना विषय पर. थोड़ी चुस्त दुरुस्त की जा सकती है, बहुत बहुत बधाई आ बबिता गुप्ता जी
आभार ,विनय सरजी।
भरोसा - लघुकथा -
"सुनो ऑटो वाले, बोरखेड़ा चलोगे ?"
"नहीं बाबूजी, हम इस समय उधर नहीं जायेंगे।"
"कोई खास कारण?"
"कारण तो बहुत सारे हैं पर आप जान कर क्या कीजिये?"
"शायद मैं कोई हल निकाल सकूं।"
"साहब, एक तो वह शहर से बाहर है और दूसरे उधर से लौटने में सवारी नहीं मिलती, तीसरे रात का टाइम है तो लूट पाट भी हो जाती है और चौथे....।"
"अरे अब बस भी करो , अच्छा चलो, मैं तुम्हें आने जाने का दोनों तरफ़ का भाड़ा दूंगा।"
"साहब, लोग ऐसे भी बोल कर लेजाते हैं और वहाँ पहुंच कर मुकर जाते हैं।"
"अरे भाई तुम पूरा किराया यहीं पर एडवांस में ले लो।"
"साहब, कुछ लोग ऐसे भी किये और वहाँ जाकर सब वापस छीन लिये। हमारा खुद का पैसा भी छीन लिये। मारपीट की सो अलग|"
"अरे भैया,दुनियाँ में भरोसा नाम की भी तो कोई चीज होती है।"
औटोवाले ने एक जोर का ठहाका लगाया,
"भरोसा, बहुत किया साहब, पर अब तो बड़े बड़े नेता लोग भी बड़े बड़े मंच पर माइक लगाकर झूठ और फ़रेब करने लगे हैं। सो अब हम लोग भी थोड़ा सचेत हो गये हैं।"
"खुलकर बताओ, तुम्हारी बात स्पष्ट नहीं हुई?"
"बाबूजी, भरोसा करके ही तो उसे वोट देकर जिताया और अपना देश उसके हवाले कर दिया । क्या मिला?"
मौलिक एवम अप्रकाशित
बेहतरीन शीर्षक के साथ विषयांतर्गत बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। 'ठहाके' वाली पंक्ति के पहले तक की रचना और उस पंक्ति के बाद के भाग में एक ट्विस्ट है, ज़रा सा विषयांतर हो जाता है। पैसों के भरोसे से राजनेताओं (देश) पर भरोसे की बात तक! वैसे रचना बहुत ही उम्दा, वास्तविक अनुभवों का स्मरण कराती और चेतना जगाती तो है ही! सादर।
प्रदत्त विषय पर शानदार लघुकथा कही है आपने आदरणीय तेज वीर सिंह जी. दिल से ढेर सारी बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
कमाल की लघुकथा पेश की,बधाई हो
बहुत बढ़िया रचना प्रदत्त विषय पर, धोखा खाकर अब समझ आ गयी है जनता को. बधाई इस रचना के लिए आ तेज वीर सिंह जी
बेहतरीन रचना द्वारा नेताओं के वादों पर तंज कसती। बधाई,आदरणीय तेजवीर सरजी।
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