For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-41 (विषय: आस्था)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-41 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है, प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-41
"विषय: "आस्था" 
अवधि : 30-08-2018  से 31-08-2018 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 11755

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

हार्दिक आभार आदरणीया नीलम जी 

प्रदत्त विषय पर अच्छी लघुकथा हुई आदरणीया प्रतिभा जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

हार्दिक आभार आदरणीय महेंद्र जी 

काठ की हाँडी  -  लघुकथा –

सुबह सुबह तोताराम जी  बैठक में हुक्का गुड़गुड़ा रहे थे कि तभी कोमल सिंह जी मोहल्ले के कुछ गणमान्य लोगों के साथ पधारे।

"ओहो भाई जी, हमारे तो भाग जाग गये। आज तो बड़े बड़े  नेता लोग पधारे हैं। बैठो भाई, चाय पानी का जुगाड़ करता हूँ"।

"अजी चौधरी साब, तक़लीफ़ मत करो,चाय पानी की कोई दरकार नहीं है।

"जैसी आपकी मर्जी।कोई खास मक़सद"?

"बात तो खास ही है। आपको तो पता ही होगा कि अपने लीलाधर जी को इस बार हमारी "देश भक्त पार्टी" ने सांसद के लिये टिकट दिया है"।

"सुना तो था"।तोताराम जी मरी सी आवाज में बोले|

"क्या बात है, चौधरी जी, कुछ ठंडे से बोल रहे हो"?

"देखो भाई, असली बात तो ये है कि माहौल आपकी पार्टी के खिलाफ़ है। लोगों की आस्था खत्म हो गयी”|

"कैसी बात कर रहे हो चौधरी जी? अखबार, रेडियो, टी वी, सब पर तो हमारी पार्टी छायी हुई है"।

"ये सब तो आपके ज़र खरीद गुलाम हैं। आपके ही गीत गायेंगे"।

"आम जनता तो इन्हीं पर यक़ीन करती है"।

"किसी जमाने में करती थी। अब नहीं। पिछले चुनाव में आपने इसी मीडिया के भरोसे लोगों को उल्लू बनाकर चुनाव जीत लिया था। पर इस बार वह चाल कामयाब नहीं होगी"।

"चौधरी जी, ऐसा नहीं है। कितने काम हुए हैं। आप तो देख ही रहे हो"।

“जी बिल्कुल, देख भी रहा हूँ, और सुन भी रहा हूं| सब झूठे प्रचार हैं”।

"यह बात तो सच नहीं है चौधरी जी"

"पिछले चुनाव के दौरान आपकी पार्टी ने जो वादे किये थे, एक भी पूरा नहीं किया।आपका नेता एक राष्ट्रीय स्तर का नेता होकर भी एक ट्रेड  यूनियन लीडर की भाषा बोलता है| कोरी गप्पें हाँकता है। तुम्हारी पार्टी की साख सबसे ज्यादा तो इसकी वज़ह से बिगड़ी है।"।

"अरे भाईजी, यही तो हमारा स्टार प्रचारक है। इसकी बदौलत तो हमें सत्ता मिली है"।

"देखो भाई, साँची बात तो ये है कि अब इस पार्टी से मेरा भी विश्वास उठ गया। मुझे तो माफ कर दो जी"।

"आपसे तो बड़ी उम्मीद है चौधरी साब।निराश मत करो| बस इस बार और मदद कर दो”।

"भाई जी, काठ की हाँडी  चूल्हे पर केवल एक ही बार चढ़ सकती है"।

 

मौलिक एवम अप्रकाशित

बिलकुल सही कहा काठकी हांडी चूल्हे पर केवल एक ही बार चढ़ती हैं,आज की राजीनीतिक चोचलेबाजी,ढकोसले ी खोखली राजनीति पर तीखा प्रहार,यानी जनचेतना की लहर आ रही हैं,बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी। 

हार्दिक आभार आदरणीय बबिता गुप्ता जी।

बहुत बढ़िया लघुकथा आदरणीय तेज़ वीर जी ,बधाई आपको ,सादर 

हार्दिक आभार आदरणीय बरखा जी।

समसामयिक माहौल पर बेहतरीन शीर्षक और कथ्य के साथ बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब।

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।

ढकोसलेबाज़ी को राजनीति का नाम देकर जनता को उल्लू बनाने की प्रवृत्ति का क्या अंजाम होगा, उसका सजीव चित्रण।

वाकई जनता समझदार हो चुकी है। "देशभक्त पार्टी" बढ़िया व्यंग्य

हार्दिक आभार आदरणीय अजय गुप्ता जी।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service