For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय परिवारजन,

सादर अभिनन्दन.

 

 

आज हमारा प्यारा ओबीओ एक और मील का पत्थर पीछे छोड़कर, अपने आठवें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. इस परिवार का मुखिया होने की हैसियत से यह मेरे लिए गर्व की बात है कि सात बरस पूर्व भाई गणेश बागी जी ने जो बीज बोया था, आप सबके सहयोग से आज वह छायादार वृक्ष बनने की तरफ अग्रसर है. तीन साल पहले मैंने इसी मंच से कहा था कि अपने शैशवकाल ही से ओबीओ  का चेहरा-मोहरा आश्वस्त कर रहा था कि यह नन्हा बालक अपने पाँव पर खड़ा होने में अधिक समय नहीं लेगा. और हुआ भी वैसा ही.

 

कहना न होगा कि आज ओबीओ हर गम्भीर नवोदित रचनाकार का मनपसंद ठिकाना बन चुका है. क्योंकि बिना किसी पक्षपात के नव लेखन को प्रोत्साहित करने में इस परिवार का कोई सानी नहीं है. रचनाएं प्रकाशित करने वाले तो अनेक मंच मौजूद हैं, लेकिन रचनाओं पर इतनी उच्च- स्तरीय समालोचना शायद ही कहीं और देखने को मिलती हो. हमारे सभी आयोजन एक वर्कशॉप की तरह होते हैं जहाँ रचना के गुण-दोषों पर खुल कर चर्चा की जाती है. उसी का परिणाम है कि कुछ अरसा पहले बेहद अनगढ़ साहित्य रचने वाले भी आज लगभग सम्पूर्ण रचनाएं रच रहे हैं. हमारे बहुत से गज़लकार, छंदकार, एवं लघुकथाकार साहित्यिक क्षेत्र में अपनी पहचान भी स्थापित कर चुके हैं.                  

हमारे सुप्रसिद्ध “ओबीओ लाइव तरही मुशायरा” तथा “ओबीओ लाइव महा-उत्सव” अपनी हीरक जयंती मना चुके हैं, “ओबीओ लाइव चित्र से काव्य तक छंदोत्सव” जिसके आज तक 71 आयोजन हो चुके हैं, इसकी हीरक जयंती भी इसी वर्ष मनाई जाएगी. इस श्रृंखला में सबसे युवा “ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी” भी अगले महीने अपनी रजत जयंती मनाने जा रही है. iइन सभी आयोजनों से बहुत सी प्रतिभाएँ उभरकर सामने आई है, और आ भी रही हैं. मेरी हार्दिक इच्छा है कि iइन आयोजनों की चुनिन्दा रचनाओं के संकलन निकाले जाएँ ताकि पटल पर मौजूद सर्वश्रेष्ठ  साहित्य किताब का रूप लेकर आलोचकों तथा शोधकर्ताओं तक पहुँच सके. इसके इलावा हमारे वर्तमान लाइव आयोजनों की तर्ज़ पर ही इस वर्ष एक और महाना आयोजन प्रारंभ करने का भी विचार है, यह महाना गोष्ठी किसी ऐसी विधा पर होगी जिस विधा में काम बहुत कम हो रहा है. इस आशय का प्रस्ताव जल्द ही प्रबन्धन समिति के विचाराधीन लाया जाएगा.

 

ओबीओ परिवार केवल अंतर्जाल के माध्यम ही से सक्रिय नहीं है बल्कि ज़मीनी तौर पर भी अपना काम कर रहा है. इस उद्देश्य से लखनऊ के बाद कानपुर एवं भोपाल में भी ओबीओ चैप्टर की स्थापना हुई. iइन तीनो इकाईओं को सम्पूर्ण स्वायत्ता दी गई है ताकि वे बिना किसी हस्तक्षेप से अपना काम कर सकें. मुझे यह बताते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि ये तीनो चैप्टर मासिक गोष्ठियों के माध्यम से साहित्य के प्रचार प्रसार में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. इस अवसर पर मैं इनin तीनो इकाईओं से जुड़े पदाधिकारियों व सदस्यों का हार्दिक शुक्रिया अदा करता हूँ.           

 

इस मंच पर छंद के बीज के बीज बोने वाले आ० आचार्य संजीव सलिल जी व श्री अम्बरीश श्रीवास्तव जी, भाई राणा प्रताप सिंह जी के साथ तरही मुशायरे की शुरुआत करने वाले श्री नवीन चतुर्वेदी जी, ओबीओ के संस्थापक दल के आ० रवि “गुरु” जी तथा प्रीतम तिवारी जी का ज़िक्र किया जाना भी बनता है. आज भले ही ये महानुभाव मंच पर सक्रिय नहीं हैं, लेकिन इस अवसर पर उनके योगदान को याद न करना कृतघ्नता होगी. इनके इलावा इस मंच पर ग़ज़ल की बाकायदा शिक्षा देने वाले आ० तिलकराज कपूर जी तथा भाई वीनस केसरी की मेहनत को भी यह मंच सलाम पेश करता है.

 

7 वर्ष पूर्व हम एक दूसरे का हाथ पकड़ कर चल पड़े थे, कहाँ जाना है इसका पता तो था. लेकिन वहाँ तक कैसे पहुंचना है यह नहीं मालूम था. तब रास्ते में नए साथी  मिले, कुछ बुज़ुर्गों ने सही रास्ता बताया. धीरे-धीरे हम ऊबड़-खाबड़ रास्तों के काँटों को हटाते हुए आगे बढ़ते रहे. सात वर्ष के लम्बे सफ़र में कई पड़ाव पार करने के बाद भी हमे किसी तरह की कोई खुशफहमी नहीं होनी चाहिए. हमें सदैव याद रखना होगा कि दिल्ली अभी बहुत दूर है. इसलिए आवश्यक है कि हम सब एक दूसरे का हाथ मज़बूती से थामें रहें और अपना सफ़र जारी रखें.

मैं इस शुभ अवसर पर ओबीओ संस्थापक भाई गणेश बागी जी को हार्दिक बधाई देता हूँ  जिन्होंने यह मंच हम सब को प्रदान किया. मैं उन्हें दिल से धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने मुझ अकिंचन को इस विशाल परिवार की बागडोर सम्हालने के योग्य समझा.

 

आदरणीय साथियो! भले ही मैं इस टीम का कप्तान हूँ लेकिन सच तो यह है कि अपनी टीम के बगैर मैं शून्य हूँ. इसलिए इस अवसर पर मैं  अपनी प्रबंधन समिति के सभी विद्वान साथियों आ० सौरभ पाण्डेय जी, श्री राणा प्रताप सिंह जी एवं डॉ प्राची सिंह  जी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने क़दम क़दम पर मेरा साथ दिया और मंच की बेहतरी हेतु उचित निर्णय लेने में सदैव मेरा मार्गदर्शन किया. मंच की कार्यकारिणी के सभी सदस्यों का भी दिल से शुक्रिया जिनकी अनथक मेहनत ने मंच को नई ऊँचाइयाँ प्रदान कीं. मैं मंच से जुड़े हुए हर सदस्य को भी धन्यवाद कहता हूँ जिनके स्नेह की बदलैत आज यह मंच अपने आठवें वर्ष में पहला कदम रखने जा रहा है. 

जय ओबीओ.

जय हिन्द.


सादर 
योगराज प्रभाकर

(प्रधान सम्पादक)

Views: 4596

Reply to This

Replies to This Discussion

आप ही की तरह मैं भी खुद को बहुत सौभाग्यशाली समझता हूँ कि इस मँच ने मुझे अपनायाI मिलजुल कर एक दूसरे से सीखने का यह सफ़र सदा जारी रहे, यही प्रार्थना है.    

अपना obo इस मुकाम पर पहुँचा है तो हम सब इस ख़ुशी में शामिल हैं...
सन 2012-13 में न जाने कहाँ से नेट पर ग़ज़ल की बारीकियों को खोजते हुए मंच पर आ. वीनस जी के आलेख का  कुछ हिस्सा हाथ लग गया...और वहीँ से मेरा सफ़र भी शुरू हो गया ...
ग़ज़ल की कक्षा को ये विद्यार्थी कैसे भूल सकता है जहाँ मेरे ऊट-पटांग प्रशों के उत्तर आ. वीनस भाई और आ. तिलकराज सर देते  थे.
बाद में तरही के माध्यम   से होने वाली समालोचना ने ठीक कहने  को प्रेरित किया...
आप की और सौरभ सर की टिप्पणियाँ हेड मास्टर द्वारा  कमरे में  बुला कर की जाने वाली सुताई की याद दिलाती थी ...अब भी वही हाल है :))
आ. राणा भाई के संकलन में कहीं लाल न हों जायें इसका डर हमेशा रहता था जैसे हाईस्कूल में सप्लीमेंट्री का होता था.
बीच में सामाजिक ज़िम्मेदारियों ने लम्बे समय तक मुझे मंच से दूर रखा लेकिन वापसी पर समर कबीर साहब जैसे जानकार का सानिध्य और स्नेह प्राप्त हुआ.
साथियों में मिथिलेश भाई, दिनेश भाई, राजेश दीदी, शिज्जू भाई, गिरिराज जी, डॉ. गोपाल नारायण जी और अन्य सभी (सारे नाम लिखना संभव नहीं है) ने न केवल मार्गदर्शन किया बल्कि म्यूच्यूअल इंडक्शन में भी कैटेलिस्ट का काम किया..
जो भी सीखा है यहीं से सीखा है ...
मंच पर उपस्थित सभी साथियों और श्री गणेश बाग़ी साहब का आभार..

आपकी सुतायी तो अलग कमरे में हुई थी, इस नाचीज़ की खिंचाई-धुलाई-सुताई-उड़ाई सरे आम की गई थी आ० आचार्य संजीव सलिल जी द्वारा (जब मैंने कुण्डलिया छंद पर मुँह मारने की कुचेष्टा की थी. :))))))))))) राणा भाई के लाल रंग का तो इतना खौफ था कि मैंने तरही मुशायरे में गजल पोस्ट करनी ही बंद कर दी. बहरहाल, इस ख़ुशी के मौके पर आपको भी बहुत बहुत बधाई.  

 

यह तो सही है, कि हमारी शिक्षा ओबीओ के पटल पर जिस कड़ाई से हुई है, उस कड़ाई का दशांस भी आज बरत दिया जाय तो कई सदस्य ’ले लुकटिया, चल डुमरिया’ का संदर्भ अपना लेंगे.. हा हा हा हा... 

:-))

हुआ ये है कि इस मंच पर आज अधिकांश सदस्य इधर के दो वर्षों के ही हैं. अब इनको ओबीओ के वातावरण की समझ और अहसास होते-होते ही होगा या शायद ही होगा. क्योंकि वरिष्ठों का समयाभाव आवश्यक माहौल के तारी होने में व्यवधान उत्पन्न कर रहा है.

’ले लुकटिया, चल डुमरिया’ 

हाहाहाहा - गज्जब!!

:-)))

’ले लुकटिया, चल डुमरिया’ :-))))))))) 

 अरे साहब ! आचार्य सलिल जैसे श्रद्धेय से तो फिर भी सुताई ठीक है पर दोहों पर बेटी समान वह भी मेरे तीनों बच्चो से भी छोटी डॉ. प्राची सिंह जी जी लताड़ पर मुझे कई बार पड़ी और फिर उन्होंने अफ़सोस जाहिर किया तो मैंने कहाँ "बेटी पर को बाप बुरा नहीं मानता | मुझे ख़ुशी है कि एक बेटी से मै कुछ सीख रहा हूँ |"  जिन्होंने ने भी ओबीओ पर सिखाया सबको नमन |

सबसे पहले सभी को सादर नमन जी। और सभी को बहुत बहुत हार्दिक बधाई हो जी। अभी कुछ समय पहले ही जुड़ा हुआ इस परिवार से जी।ओ बी ओ लाजवाब है जी।यहां पर सीखने और सिखाने की जो भावना है वो लाजवाब है जी।यहां पर आप सब को पढ़ता हूँ और पढ़ कर सीखता भी हूँ। सबसे हटकर व अलग है जी ओ बी ओ परिवार। ईश्वर से यही प्राथना है कि ओ बी ओ दिन दुगनी रात चौगुनी उन्नति करे जी। ओ बी ओ जिंदाबाद!!!

आपकी बधाई सर-आँखों पर भाई सुरेन्द्र इंसान जी. ओबीओ जिंदाबाद!!  

सातवीं वर्षगांठ पर परिवार जनों को हार्दिक बधाई व् शुभकामनायें । मैं भी इस मंच पर सक्रिय नहीं हो पाती किन्तु इस मंच से मेरा जुड़ाव कम नहीं है । मैंने भी रचना कर्म इसी मंच से सीखा । बहुत आभार आदरणीय विदु जनों और आदरणीय बागी जी का जिन्होंने ऐसी उत्तम उर्वरक भूमि प्रदान की ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service