For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जनाब दीपक "जैतोई" साहिब की पंजाबी ग़ज़ल का हिंदी अनुवाद

सुनके  मज़ा न आए, उसको ग़ज़ल न बोलें ! 
दिल में उतर न जाए, उसको ग़ज़ल न बोलें !  

खूबी ग़ज़ल की है ये, दिल को चढ़ाये मस्ती,
और जो दिमाग खाए, उसको ग़ज़ल न बोलें!

हर शेअर अपनी अपनी पूरी कहानी बोले,
दरमियाँ से टूट जाए, उसको ग़ज़ल न बोलें!

मिसरा खतम हो पीछे, खुल जाएँ अर्थ पहले
जो उलझने बढ़ाये, उसको ग़ज़ल न बोलें!

बे अर्थ बात कोई जचती नहीं ग़ज़ल में
मायने समझ ना आए, उसको ग़ज़ल न बोलें!

मखसूस शब्द हैं कुछ यारो ग़ज़ल की खातिर,
बाहर जो उनके जाए, उसको ग़ज़ल न बोलें !

हर बात इश्क में ही रंगी हुई ग़ज़ल की
जो खुश्कियां चढ़ाये, उसको ग़ज़ल न बोलें !

फूलों की तरह बांटें, खुशबू ग़ज़ल के मिसरे,
जिस में से बदबू आए,उसको ग़ज़ल न बोलें !

मस्ती शराब जैसी, नवयौवना का नखरा,
नज़रों में ना समाये, उसको ग़ज़ल न बोलें !

संगीत की मधुरता, झरने की सी रवानी
जिसमे नज़र ना आए, उसको ग़ज़ल न बोलें !

शेयरों के अर्थ यूँ तों, ढूंढे लुगात में से, 
फिर भी ग़ज़ल बताये,उसको ग़ज़ल न बोलें!

अनहोनी सी दलीलें, उपमा अति असंभव,
अश्लीलता बढ़ाये, उसको ग़ज़ल न बोलें !
 
महफ़िल में थिरकती हो जैसे हसीन नारी
वो रंग न जमाये, उसको ग़ज़ल न बोलें !

विरहा का दर्द हो या वस्ल की लताफत,
जो  इश्क न जमाये, उसको ग़ज़ल न बोलें !

मह्बूद संग बातें, साकी के साथ शिकवे,
मंज़र न ये दिखाए, उसको ग़ज़ल न बोलें !!

दिल की ज़ुबान है ये, दानिशवरों ने बोला,
पहेली कोई बुझाये, उसको ग़ज़ल न बोलें !

सड़ियल मिजाज़ "दीपक", डिग्री का रौब देके,
गाथा अगर सुनाये, उसको ग़ज़ल न बोलें !

Views: 2748

Reply to This

Replies to This Discussion

जनाब योगराज प्रभाकर जी आदाब,वाह वाह ,मज़ा आ गया,क्या शानदार अनुवाद किया है आपने, आपका ये अमल और पन क़ाबिल-ए-सताइश है , दिल की गहराइयों से दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।
कुछ मिसरों में लय बाधित हो रही है।

हार्दिक आभार आ० समर कबीर साहिबI जहाँ तक लय बाधित होने की बात है तो बन्दा परवर! दीपक साहिब इल्म-ए-अरूज़ के बहुत बड़े उस्ताद थेI उनके कलाम में ऐसी कमी का होना भी अकल्पनीय है, यह गलती गालिबन अनुवाद की वजह से हुई हैI   

जी,मुहतरम उन पर ऊँगली उठाने की जसारत में नहीं कर सकता,14वें शैर में शायद एक शब्द लिखने से रह गया है ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service