For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक -११' (Now Closed with Record 1060 Replies in 3 Days)

आदरणीय मित्रों !

नमस्कार|

'चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता’ अंक -११ में आप सभी का हार्दिक स्वागत है ! 

 

दोस्तों !

जरा इन दादा जी व दादीजी को देखिये तो .......कितने खुश हैं ये दोनों ..... वास्तव में यही तो असली प्यार है और इसी उम्र में ही ऐसे सहारे की आवश्यकता होती है वस्तुतः वैलेंटाइन डे के मूल भाव इस चित्र में पूरी तरह समाविष्ट हैं ! हमारा यह दायित्व है कि हम सब इन्हें कदम-कदम पर हर प्रकार का सहयोग देते रहें |   

छिपा है प्यार दिल में मिला इनको करीने से,

नहीं पतवार हाथों में , मजा मौजों में जीने से.

बुजुर्गों की मदद करके सुकूं से जिंदगी गुज़रे,

दुआ इनकी मिले जिनको दमक जायें नगीने से.

 

 आइये तो उठा लें आज अपनी-अपनी कलम, और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण ! 

 

और हाँ! पुनः आपको स्मरण करा दें कि ओ बी ओ प्रबंधन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि यह प्रतियोगिता सिर्फ भारतीय छंदों पर ही आधारित होगी  साथ-साथ इस प्रतियोगिता के तीनों विजेताओं हेतु नकद पुरस्कार व प्रमाण पत्र  की भी व्यवस्था की गयी है ....जिसका विवरण निम्नलिखित है :-


"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता हेतु कुल तीन पुरस्कार 
प्रथम पुरस्कार रूपये १००१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company 

 

द्वितीय पुरस्कार रुपये ५०१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali

A leading software development Company

 

तृतीय पुरस्कार रुपये २५१
प्रायोजक :-Rahul Computers, Patiala

A leading publishing House

नोट :-

(1) १७ तारीख तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, १८  से २० तारीख तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणी पोस्ट करने हेतु खुला रहेगा |

(2) जो साहित्यकार अपनी रचना को प्रतियोगिता से अलग  रहते हुए पोस्ट करना चाहे उनका भी स्वागत है, अपनी रचना को"प्रतियोगिता से अलग" टिप्पणी के साथ पोस्ट करने की कृपा करे | 

(3) नियमानुसार "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-१० के प्रथम व द्वितीय स्थान के विजेता इस अंक के निर्णायक होंगे और नियमानुसार उनकी रचनायें स्वतः प्रतियोगिता से बाहर रहेगी |  प्रथम, द्वितीय के साथ-साथ तृतीय विजेता का भी चयन किया जायेगा | 

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो, रचना पद्य की किसी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है | हमेशा की तरह यहाँ भी ओ बी ओ  के आधार नियम लागू रहेंगे तथा केवल अप्रकाशित एवं मौलिक कृतियां ही स्वीकार किये जायेगें |

 

विशेष :-यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें| 

 

अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता  अंक-१०, दिनांक १८  फरवरी  से २० फरवरी  की मध्य रात्रि १२ बजे तक तीन दिनों तक चलेगी, जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य   अधिकतम तीन पोस्ट ही दी जा सकेंगी साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि  नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |

  • मंच संचालक: अम्बरीष श्रीवास्तव

Views: 18118

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

सीमा जी इस प्रयास पर मेरा आभार स्वीकार करें |

NICE NOK-JHONK>>>>>

भाषा, भाव व प्रवाह में लोक गीत सी महक,चहक व लहक है, वाह !!!

ओबीओ सदस्य श्री अतेन्द्र कुमार सिंह रवि के ९ सवैया छंद

(परीक्षा में व्यस्त होने की वजह से,  उनके विशेष अनुरोध पर प्रबंधन समिति की इजाज़त से पोस्ट कर रहा हूँ)  

छंद -सवैया 

.

सुंदरी सवैया --इसमें ८ सगण और अंत में गुरु मिलकर कुल २५ वर्ण होते हैं , इसे मल्ली भी कहते हैं ......

 (१)

लिखने हम जात जरा इस ओर अभीं हमरे प्रभु साथ रहावैं

तहरे किरिपा अब साथ रहै देखिके छवि को कुछ तो रच जावैं

 .

(२)

निरखे छवि में 'रवि' प्रेम भरा दिखता कब से चलि आवत बावे 

निज होंठ सता कर दादी जरा अस चुम्बन से हिय को हुल्सावे

 

(३)

जब ही जब होंठ सटे तब कन्चन गाल के हाल बतावत दादू 

भर जाय जरा हिय पाय सनेह करे मन भाव बखान जुआजू 



अरविन्द सवैया -- इसमें ८ सगण और अंत में लघु मिलकर कुल २५ वर्ण होते हैं  ......

 

(४)

कितने अरु साथ रहै यह बात नहीं मन में जिनके उपजाय

यह राग सनेह सदेह भरा मन चन्चल आज दिखे हरसाय 

 

मदिरा सवैया -- इसमें ७  भगण और अंत में गुरु मिलकर कुल २२  वर्ण होते हैं  ......दादा के मन उपजी भावना  को मदिरा सवैया के रूप में

 

(५)-

जो रहती तुम साथ सदा अब प्राण प्रिया यह आस भरा 

कानन में कछु आज कहो,भरमा,इक चुम्बन दीन जरा

 

मत्तगयन्द सवैया -- इसमें ७  भगण और अंत में  दो गुरु मिलकर कुल २२  वर्ण होते हैं  ......

 

(६)-

ज्यों छवि में गृह अन्दर में दिखते बहु इपात्र रसोई 

मान सदा करिके इह दादी बनीं अब दादुअ संग सगोई   

.

लवंगलता सवैया -- इसमें ८ जगण और अंत में लघु  मिलकर कुल २२  वर्ण होते हैं  ......   

(७)

अजी इन देह शवेत दुकूल निकेतन में हरसाय रही छन

भरै  मन नेह सदेह भला पन चारहि अब झाँक रही तन

.

वाम सवैया---  इसमें ७ जगण १ यगण मिलकर कुल २४ वर्ण होते हैं ---- इसे मंजरी  मकरकंद और माधवी भी कहते हैं ....................

(८)-

बढे पग आजि सु दीनस दादी जु एहि पड़ाव न देर भ आजू

लिहे भलि थाम अरू अस रोकिय चुम्बन गाल सटावहिं दादू

.

कुन्दलता सवैया --  इसमें ८ सगण 2 लघु मिलकर कुल २६  वर्ण होते हैं ---- इसे ''''''सुख  सुखद और किशोर भी कहते हैं ....................

दादा और दादी की अंतिम इच्छा  के रूप में रचित सवैया

(९)

जग में अब साथ रहो तुम नाथ सदा प्रभु जी संगहि छिटकावत

जब जन्म मिले तुझ संग बनै, निज देह रहै नित ह़ी छलकावत.



बहुत बढ़िया अतेन्द्र, परीक्षा की व्यस्तता के बावजूद भी इतनी बढ़िया रचनाएँ , वाह वाह, बधाई हो |

भाई अतेन्द्र कुमार सिंह जी, सब से पहले तो आपका दिल से आभार कि आपने इतनी व्यस्तता के बावजूद  भी आयोजन में शिरकत की. आपके सभी छंद बहुत मनमोहक और आकर्षक है जिस के लिए आपको हार्दिक बधाई देता  हूँ. 

अतेंद्र कुमार सिंह जी, सवैया की बरसात में मन भीग गया,बधाई हो....

 

मस्ती की वह परिभाषा है

मन की छिपी हुई आशा है

  मन की बेचैनी का अंत

सखा कहें सब उसे बसंत

 

पश्चिम का वह  वैलेंटाइन 

डे देता है जो उपदेश

मस्त चला कर पुरवैया को

दे बसंत वह ही सन्देश    

 

इसमें जोर कहाँ है मन पर

चलती ऐसी मस्त बहार

दादा-दादी खुल्लमखुल्ला

देखो कैसे करते प्यार

 

आई लव यू खुल्लम-खुल्ला

कहते फिरते युवा-युगल

ऐसे खुशगवार मौसम में

दादी त्यागें क्यों ये शगल?

 

फागुन मस्त-बयारी है

प्रेम-प्यार की बारी है

शर्म और संकोच त्याग कर

कर ले जो तैयारी है  

 

मन की मन में रह जाएँ जो

तो यह मन अकुलाता है

कर गुज़रे जो मन की फिर भी

जाने क्यों घबराता है

 

पर तुम प्यारे! बहक न जाना

प्रेम सलीके से अपनाना

वर्ना बिगड गयी जो जानम  

दोस्त हँसेगा खूब ज़माना

फागुन मस्त-बयारी है

प्रेम-प्यार की बारी है

शर्म और संकोच त्याग कर

कर ले जो तैयारी है  ...sunder bhav..saras rachana Dr.Brijesh ji.

सुन्दर भावाभिव्यक्ति है डॉ साहब, बधाई |

सुन्दर भावाभिव्यक्ति है डॉ त्रिपाठी जी,  साधुवाद.

सुंदर रचना, बधाई...

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service