For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

  

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ एकहत्तरवाँ योजन है।

 .   

 

छंद का नाम  -  मुकरिया/ कहमुकरिया छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

20 सितंबर’ 25 दिन शनिवार से

21 सितंबर 25 दिन रविवार तक

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

मुकरिया/ कहमुकरिया छंद के मूलभूत नियमों के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती हैं.

***************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 20 सितंबर’ 25 दिन शनिवार से 21 सितंबर 25 दिन रविवार तक रचनाएँ तथा टिप्पणियाँ प्रस्तुत की जा सकती हैं। 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम  

Views: 887

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

रात दिवस केवल भरमाए।

सपनों में भी खूब सताए।

उसके कारण पीड़ित मन।

क्या सखि साजन! नहीं उलझन।

सोच समझ सब पर छा जाए।

शांत चित्त को नजर लगाए।

वो छीने जीवन की सुविधा।

क्या सखि साजन! ना सखि दुविधा।

तरुणाई की चिंता भारी।

उसके पीछे खुशियाँ सारी।

मन को रहता जिसका डर।

क्या सखि साजन! नहीं फ्यूचर।

कर दे जो सपनों को पूरा।

उसके बिन सब लगे अधूरा।

भाग्य द्वार की जो है नॉब।

क्या सखि साजन? ना सखि जॉब।

बस उलझन या दुविधा लाता।

फ्यूचर में ना जॉब लगाता।

कभी सहे ना जीवन मंच।

क्या सखि साजन! नहीं प्रपंच।

(मौलिक व अप्रकाशित)

"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, 

हार्दिक बधाई इन पाँच मुकरियों के लिए |

मेरी जानकारी के अनुसार सभी पदों में मात्रा १६ - १६ होना चाहिए।  

.... पीड़ित है मन 

तीन पंक्ति सुनने के बाद सखि को एहसास  होना चाहिए कि बात साजन की हो रही है। पांचवे मुकरियां में  ऐसा एहसास नहीं हो रहा है।

सही और विस्तार से विश्लेषण तो  आदरणीय सौरभ भाईजी ही  कर पायेंगे।

सादर 

 

आदरणीय मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आपके मार्गदर्शन अनुसार पुनः प्रयास करता हूं। पहले और दूसरे क्रम की पंक्ति में 16 -16 मात्राओं की अनिवार्यता का मुझे पता था तीसरी और चौथी पंक्ति में संभवतः छूट होती है फिर भी यदि गुंजाइश हो तो 16 मात्रा कर लेना चाहिए। अंतिम कह मुकरी में अभी संभावना है उसके लिए प्रयास करता हूं। सादर

   आदरणीय मिथिलेश जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुंदर मुकरियां रची हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.  अंतिम मुकरी बहुत स्पष्ट नहीं हो  पा रही है.  सादर 

आदरणीय अशोक रक्ताले सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। अंतिम पद कह मुकरी हो ही नहीं पाया। पुनः प्रयास करता हूं। सादर

सोच समझ सब पर छा जाए।

शांत चित्त को नजर लगाए।

वो छीने जीवन की सुविधा।

क्या सखि साजन! ना सखि दुविधा।//प्रदत्त चित्र-आधारित बहुत सुन्दर मुकरियाँ रची हैं आपने। हार्दिक बधाई आदरणीय मिथिलेश जी

आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया. 

मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था लेकिन मैं वर्तमान में कार्यालय के काम से नई दिल्ली में हूँ. अतः अपनी बातें कहने से रह गया. अभी वापस होटल आया हूँ. 

अलट-पलट कर बूझवाने की कला इस विधा कर रोचकता प्रदान करती है, जिसमें आपकी प्रस्तुतियाँ सफल भी है और अनुकरणीय भी. अलबत्ता, पाँचवीं प्रस्तुति को लेकर आदरणीय अखिलेश भाई की शंका उचित है. जिसे आपने स्वीकार भी है.  

सुंदर ही नहीं तार्किक रचनात्मकता के लिए हार्दिक बधाइयाँ .. 

शुभातिशुभ

  कह मुकरियां :

      (1)

क्या बढ़िया सुकून मिलता था

शायद  वो  मिजाज छनता था

लेकिन यकायक बदला स्वाद

क्यों सखि साजन? नहीं अवसाद !

          

            (2)

अमराई  सब  सूना - सूना

कब बैठता आकर पाहुना

शायद हो गई भारी भूल

क्यों सखि साजन? नहिं री बबूल!

 

     (3)

पात - पात वो ज़र्द  हुआ है

सुनसान  लो  मार्ग  हुआ है

जिधर देखो पसरा है मौन

क्यों सखि साजन? नहीं खग- मौन !

 

          (4)

खाली- खाली निर्जन सा वन

दर्पन  नहीं  सुहाता  अनशन 

अंसल  पाटी  ले  पड़  जाऊँ

क्यों सखि साजन? नहीं खड़ाऊँ

वन- उपवन में नाचता मोर

धड़कनों दिल पलता है शोर 

कहाँ गया वो रंगीला आज

क्यों सखि साजन? नहिं री बाज

मौलिक व अप्रकाशित 

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र अनुसार कह मुकरी का बहुत बढ़िया हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। थोड़ा और प्रयास और गेयता से प्रस्तुति में निखार आ जाएगा। सादर

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र से इतर हुई हैं. 

आपके अभ्यास के लिए हार्दिक बधाइयाँ 

शुभ-शुभ

मुकरियाँ

+++++++++

(१ )

जीवन में उलझन ही उलझन।

दिखता नहीं कहीं अपनापन॥

गया तभी से है सूनापन।

क्या सखि साजन,ना सखि बचपन॥

( २ )

अकेले चलना है दुश्वार॥

राह सैकड़ों मोड़ हजार॥

करती याद उसे मन ही मन।

क्या सखि साजन, ना सखि भगवन॥

( ३  )

विकल्प बीसों से है दुविधा।

साथ एक हो तो है सुविधा॥

एक वही है मेरा सहचर।

क्या सखि साजन, ना सखि गिरिधर॥

+++++++++++++++

मौलिक अप्रकाशित

 

 

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कह मुकरियाँ रचीं हैं आपने. फिर भी कहीं-कहीं पंक्तियों का प्रवाह बाधित प्रतीत हो रहा है. 

विकल्प बीसों से है दुविधा/ हों विकल्प बीसों तो दुविधा ....इसे इस तरह कर प्रवाह ठीक  किया जा सकता है. सादर 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service