For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-140

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 140वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा जनाब हफ़ीज़ जालंधरी

साहब की गजल से लिया गया है|

" अपने ही दोस्तों से मुलाक़ात हो गई "

221 2121 1221 212

मफ़ऊलु फ़ाइलातु मफ़ाईलु फ़ाइलुन

बह्र: मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फूफ़ महज़ूफ़

रदीफ़ :- हो गई

काफिया :- आत(मुलाक़ात, बात, रात, बरसात, ज़ात, मात आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनांक 25 फरवरी दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 26 फरवरी दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें |

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 25 फरवरी दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन

बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

मंच संचालक

राणा प्रताप सिंह

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 5367

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय सालिक जी, नमस्कार

बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिए।

सर जी की इस्लाह बहुत बेहतर है, ग़ौर कीजियेगा

सादर

आदरणीया  Richa Yadav जी
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए ह्रदय तल से आभार।

आदरणीय सालिक गणवीर जी, तरही मिसरे पर सुंदर ग़ज़ल सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई।

आदरणीय Dayaram Methani जी
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए ह्रदय तल से आभार।

आदरणीय  Dayaram Methani   जी
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए ह्रदय तल से आभार।

आदरणीय सालिक गणवीर जी आदाब, तरही मिसरे पर नफ़ीस ग़ज़ल कही है आपने, तीसरा शे'र ख़ास पसंद आया। सादर। 

आदरणीय   अमीरुद्दीन 'अमीर' जी
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए ह्रदय तल से आभार।

आदरणीय सालिक गणवीर जी, सर् की इस्लाह के बाद बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

वाह आ अमीर बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आ गुरु जी की इस्लाह काबिल ए गौर है

आदरणीय सालिक गणवीर जी अच्छी ग़ज़ल काही आपने बधाई जनाब समर साहब की इस्लाह से ग़ज़ल शानदार हुयी


221 2121 1221 212

सूखे की जो नगण्य सी औकात हो गयी
हर्षित हुआ किसान कि बरसात हो गयी।१।
*
सूरज ढले बिना  ही  तमस घोर हो गया
कैसी अजब ये आज भला बात हो गयी।२।
*
राजा तुम्हारे देश में कानून क्या गजब
जो भी लुटा उसी को हवालात हो गयी।३।
*
कैसा समय ने ताप दिया नीर सोखकर
ये जिन्दगी भी सूखा हुआ पात हो गयी।४।
*
उनसे बिछड़ के सोचा था कैसे कटेगी पर
खुद से मिले  तो  और  हसी रात हो गयी।५।
*
समझे सभी को एक सा मन में था बचपना
हम से यही  तो  भूल  अजब  तात हो गयी।६।
*
जीवन की पीर  पूछना उनसे मिलो अगर
कच्ची सी उम्र जिनकी भी बारात हो गयी।७।
*
जनता के दुख पे जूँ भी न कानों पे रेंकती
बैठक स्वयं की  बात  को आपात हो गयी।८।
*
जो पाँच  वर्ष  खूब  थे  मगरूर  दम्भ में
अब के चुनाव उन की बड़ी मात हो गयी।९।
*
नेता के माथे  सोच  ये आया पसीना ढब
जनता के जागने की भी शुरुआत हो गई।१०।
*
गिरह
दुश्मन के घर में घात को आये तो थे मगर
"अपने  ही  दोस्तों  से  मुलाक़ात  हो गई"
**
मौलिक/अप्रकाशित

जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'राजा तुम्हारे देश में कानून क्या गजब'

इस मिसरे को उचित लगे तो यूँ कहें:-

'राजा तुम्हारे देश का क़ानून है अजब'

'खुद से मिले  तो  और  हसी रात हो गयी'

इस मिसरे में 'हसी' को "हसीं" कर लें ।

'जीवन की पीर  पूछना उनसे मिलो अगर
कच्ची सी उम्र जिनकी भी बारात हो गयी'

इस शैर का भाव मुझे समझ नहीं आया ।

'जनता के दुख पे जूँ भी न कानों पे रेंकती'

इस मिसरे में 'रेंकती' को "रेंगती" कर लें ।

'अब के चुनाव उन की बड़ी मात हो गयी'

इस मिसरे में 'में' शब्द की कमी लग रही है,देखें ।

'नेता के माथे  सोच  ये आया पसीना ढब
जनता के जागने की भी शुरुआत हो गई'

इस शैर के ऊला का वाक्य विन्यास ठीक नहीं और सानी बह्र में नहीं है सानी से 'भी' शब्द हटा दें तो बह्र में आ जायेगा ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
19 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service