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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी क्रम में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-126 

विषय - "सत्य की जीत"

आयोजन अवधि- 15 अप्रैल 2021, दिन गुरुवार से 16 अप्रैल 2021, दिन शुक्रवार की समाप्ति तक अर्थात कुल दो दिन.

ध्यान रहे : बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी मौलिक एवं अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता, अतुकांत आधुनिक कविता, हास्य कविता, गीत-नवगीत, ग़ज़ल, नज़्म, हाइकू, सॉनेट, व्यंग्य काव्य, मुक्तक, शास्त्रीय-छंद जैसे दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि.

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 15 अप्रैल 2021, दिन गुरुवार लगते ही खोल दिया जायेगा।

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

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मंच संचालक
ई. गणेश जी बाग़ी 
(संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम परिवार

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Replies to This Discussion

आ. भाई अजेय जी, हार्दिक धन्यवाद।

आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रदत्त विषय पर सभी दोहे बहुत सुंदर रचे हैं आपने.

भले स्वार्थवश साथ दे, बढ़ चढ़कर इन्सान
झूठ नहीं जग में हुआ, सच से बढ़ बलवान।७।..........यही सच्चाई है, किन्तु फिर भी झूठ का बोलबाला है. सादर.

आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन । दोहों पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

संविधान

अलग अलग हैं धर्म कर्म एक हिंदुस्तान है

यही तो प्रजातंत्र है यही तो संविधान है

अखण्ड है स्वतंत्र है विशाल पारितंत्र है

ॐ भूर्भुवः स्व: यतो धर्मस्ततो जयः

"हो सत्य की विजय सदा असत्य की हटे रिदा"

यही तो एक मंत्र है यही तो इक विधान है

यही तो प्रजातंत्र है यही तो संविधान है

प्रभुत्व संपन्न है सभी यहाँ समान हैं

यही तो सत्य चित्त नित्य नित्य नित्य ध्यान है

बंधुत्व है गणतंत्र है कल्याण क्रियातंत्र है

ॐ भूर्भुवः स्व: यतो धर्मस्ततो जयः

"हो सत्य की विजय सदा असत्य की हटे रिदा"

यही तो एक मंत्र है यही तो इक विधान है

यही तो प्रजातंत्र है यही तो संविधान है

अंबेडकर प्रबुद्ध है ये शुद्ध आत्मज्ञान है

धर्मनिरपेक्ष है न गीता न कुरान है

ॐ भूर्भुवः स्व: यतो धर्मस्ततो जयः

"हो सत्य की विजय सदा असत्य की हटे रिदा"

यही तो एक मंत्र है यही तो इक विधान है

यही तो प्रजातंत्र है यही तो संविधान है

(मौलिक व अप्रकाशित)

आज़ी तमाम

प्रिय  भाई, आज़ी तमाम, विषय  का निर्वहन  आखिर किस विधा में हुआ है,  आप  चिन्हित कर पाते तो, आप की  प्रस्तुति का सही मूल्यांकन  हो पाता, बंधु  ! साभार  !

सादर प्रणाम आदरणीय चेतन जी

मैंने एक गीत लिखने की कोशिस की है! 

सादर

गीत एक मात्रिक छन्द है, और हर गीत का अपना विधान होता है, जो प्रदत अथवा रचयिता द्वारा चुने हुए विषय पर लिखा जाता है!  

आ. भाई आज़ी तमाम जी, रचना के भाव अच्छे हैं । पर गीत विधा का पूर्णतः निर्वहन नहीं हो सका है । सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई।

आदरणीय आज़ी तमाम जी सादर, सुंदर प्रयास है आपका किन्तु आपकी रचना विषय के साथ बहुत न्याय नहीं कर पा रही है. सादर.

 गीत.... कलम आज सच की जय बोल  ! 

कलम आज सच की जय बोल  ! 

विपदा आती सामर्थ्यवान पर

कान्हा हों या कि श्री राम

कोरोना फिर परखे हम को

धैर्य खोओ न करो कोहराम  ! 

विश्वास अडिग ईश हमारा

जीतेंगे रण भारती बोल  ! 

कलम आज सच की जय बोल  !! 

अहिंसा के पुजारी हम विश्व

राणा के हम सदा चेतक अश्व

मारेंगे राणा सम अरि को

माँ चन्द्र घंटा की जय बोल

दिवस तीसरे आयी है, देवि

भक्त कवि तू तो घंटा खोल  ! 

कलम आज सच की जय बोल  !! 

माँ का हाथ है, वक्षस्थल में

कमल- फूल है, दूसरे हाथ में

काव्य समर्पित रूप तीसरा

कवि का हो सत्कार सर्वदा  ! 

कर संहार राक्षसों का देवि  ! 

हर हर महादेव तू बोल  !! 

कलम आज सच की जय बोल  !! 

राहु- केतु चीन-पाक हैं 

खुराफाती हैं, बहुत अभी भी

गाँधारी भूल दुराग्रह तू  ! 

आंखों की दे पट्टी खोल  ! 

कलम आज सच की जय बोल  !! 

मौलिक एवं अप्रकाशित

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन । प्रदत्त विषय पर अच्छा गीत हुआ है । हार्दिक बधाई।

आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प्रदत्त विषय को साधने का प्रयास करता अच्छा गीत रचा है आपने. सादर.

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आवश्यक सूचना:-

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