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आओ गटके पान सुपारी....... सौरभ जी

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Comment by वीनस केसरी on March 9, 2012 at 1:08pm

अनगढ़ सा

उफ्फ्फ...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 9, 2012 at 1:03pm

भाई गणेशजी, रवि जी, वीनस जी, विवेकजी, धर्मेन्द्रजी.. . आप सभी को मेरा हर्दिक धन्यवाद कि आपको प्रस्तुत रचना पसंद तो थी ही, मेरा अनगढ़ सा काव्य-पाठ भी रुचा. ..

सहयोग बनाये रखें.

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 4, 2011 at 11:47pm

अहह, क्या शिल्प है, क्या कथ्य है। मेरे विचार में इसे सदी के महानतम नवगीतों में से एक कहा जाना चाहिए। कितनी सरलता से सड़क पर जाते हुए एक आम आदमी के जीवन में उपस्थित बिंबों की सहायता से उसके जीवन को बड़ी ही खूबसूरती के साथ चित्रित किया गया है। सौरभ जी की मधुर आवाज़ में इसे सुनने का आनंद ही अलग है। बहुत बहुत बधाई उन्हें इस रचना के लिए और राणा जी को इसे यहाँ प्रस्तुत करने के लिए।

Comment by विवेक मिश्र on December 4, 2011 at 11:50am

सच कहूँ तो इस कविता सुनने में मैं इतना तल्लीन था कि वीडियो शूटिंग से बार-बार मेरा ध्यान भटक जाता था. खैर, जैसे-तैसे रिकॉर्डिंग पूरी हुई. काव्य-गोष्ठी से लौटने के तुरंत बाद जब इस वीडियो को मेरे मित्रों ने देखा, तो सभी ने मुक्त कंठ से कविता-पाठ की सराहना की. अच्छी बात यह लगी कि जो लोग कविता को मात्र गुनगुनाने की दृष्टि से देखते हैं, उन्हें भी इस कविता में प्रयुक्त देशज शब्द (खैनी, सरौता, पान-सुपारी आदि) काफी रुचे. और मैं... मैं तो पहले से ही सौरभ सर के विस्तृत शब्दकोष और विस्तृत विचारों का मुरीद रहा हूँ. मेरे पैर कहाँ जमीन पर थे.. :)))))

Comment by वीनस केसरी on December 3, 2011 at 10:36pm

वाह वा ...
सुर लय ताल
सब कुछ परफेक्ट

सौरभ जी से यह रचना सुन कर मन प्रसन्न हो गया था मैं भी वीडियो कई बार देख चुका हूँ क्योकि मेरे पास पहले से उपलब्ध है

राणा जी को विशेष धन्यवाद देता हूँ कि आज सौरभ जी के जन्मदिन पर आपने वीडियो पोस्ट किया

Comment by Rash Bihari Ravi on December 3, 2011 at 11:14am

vah vah jabardast bhaiya


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 3, 2011 at 10:32am
वाह वाह वाह, जबरदस्त प्रस्तुति, कई बार सुन चूका, बेहतरीन, बहुत बहुत बधाई सौरभ भाई साहब को और इस चलचित्र को हम लोगो से साझा करने के लिए भाई राणा जी को कोटिश: धन्यवाद |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 3, 2011 at 10:10am

अभिभूत हुआ, राणाजी !!   भाईजी, यह तो गिफ़्ट भी मिल गया !!!

सधन्यवाद .

कृपया ध्यान दे...

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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