For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

GAZAL-हमसफ़र तुमसा प्यारा मिले न मिले ! SALIM RAZA REWA

                ||ग़ज़ल|
हमसफ़र तुमसा प्यारा मिले न मिले !
साथ मुझको तुम्हारा मिले न मिले !

इश्क़ का कर दे इज़हार तन्हा है वो !
ऐसा मौक़ा दुबारा मिले न मिले !

जीले खुशिओं की पतवार है हाँथ में !
बहरे ग़म में किनारा मिले न मिले !

वो भी होते तो आता मज़ा और भी !
फिर सुहाना नज़ारा मिले न मिले !

साँस बनकर रहो धड़कनों में मेरी !
ज़िन्दगी फिर खुदारा मिले न मिले !

माँ की शफ़क़त जहाँ में बड़ी चीज़ है !
ये मुहब्बत की धारा मिले न मिले !


 आज जी भर के दीदार कर ले रज़ा !
चाँद का ये नज़ारा मिले न मिले !

  • शायर सलीम रज़ा रीवा

Views: 865

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on September 9, 2017 at 5:10pm
परम आदरणीय गणेशजी आपकी इनायत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया,
Comment by SALIM RAZA REWA on September 9, 2017 at 5:08pm
आ. अभिनव जी आपकी नज़रे इनायत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया, उम्मीद है आगे भी आप की मुहब्बत मिलती रहेगी,
Comment by SALIM RAZA REWA on September 9, 2017 at 5:06pm
आ. आशीष जी आपकी मुहब्बत के लिए शुक्रिया,
Comment by SALIM RAZA REWA on September 9, 2017 at 5:05pm
आ. वेदि‍का जी ग़ज़ल पसंद आई बहुत बहुत शुक्रिया,
Comment by वीनस केसरी on February 16, 2013 at 4:14pm

आज जी भर के दीदार कर ले रज़ा !
चाँद का ये नज़ारा मिले न मिले !

KYA KAHNE SALEEM SAHIB
SHAANDAAR GHAZAL HUI HAI

BADHAI SVEEKAAREN

Comment by ram shiromani pathak on February 16, 2013 at 3:51pm

बहुत खूब आदरणीय !!!

 माँ की शफ़क़त जहाँ में बड़ी चीज़ है !
ये मुहब्बत की धारा मिले न मिले !

वाह वाह................


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 16, 2013 at 1:43pm

इस बेहतर कोशिश पर बधाई, सलीम भाई.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 16, 2013 at 11:52am

//इश्क़ का कर दे इज़हार तन्हा है वो !
ऐसा मौक़ा दुबारा मिले न मिले !/

वाह वाह सलीम साहब, बहुत खूब, बढ़िया शेर कहें हैं, अच्छी ग़ज़ल , दाद कुबूल करें ।

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 16, 2013 at 11:34am

बहुत खूब आदरणीय  सलीम जी

इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए ढेरों दाद क़ुबूल करें 

 माँ की शफ़क़त जहाँ में बड़ी चीज़ है !
ये मुहब्बत की धारा मिले न मिले !

वाह वाह................

Comment by vijay nikore on February 16, 2013 at 10:18am

आदरणीय सलीम जी:

 

माँ की शफ़क़त जहाँ में बड़ी चीज़ है !
ये मुहब्बत की धारा मिले न मिले !

 

इस उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई।

 

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
9 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
10 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
15 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service