For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कौन कब किसको रोक पाता है -- डॉo उषा चौधरी साहनी

 
न जाने ऐसा क्यों लगता है , 
किसी एक पल कि सबकुछ 
अपना है, अपने हाथों में है, 
बस , हाथ उठाऊं और ले लूँ , 
समेट लूँ , अपनी बाँहों  में ,
रख लूँ ,सहेज कर अपने पास । 
कितनी खुशियाँ हैं दुनियाँ में , 
सब मेरे लिए , कितनी अपनी हैं ,
पर, दूसरे ही क्षण लगता है , 
नहीं,अपना तो कुछ भी नहीं , 
सब एक धोखा  है, भ्रम  है | 
आईना देखूँ तो खुद पर , 
अपने ही  रूप - रंग पर , 
गुमान होता है ,अभिमान होता है, 
आँखे बंद कर के सोचूँ , 
तो यह भी एक धोखा लगता है , 
सच का संज्ञान होता है , 
पकड़ लेने से क्या मिल पाता है, 
बाँध लेने से क्या अपना हो जाता है।  
जीवन में क्या कुछ नहीं आता , जाता है , 
कितना ठहर पाता  है , कितना चला जाता है, 
कौन क्या रोक पाता  है , कहाँ रोक पाता  है ।
सब , बस  खुद ही भटक रहें हैं , 
किसको अपनी मंजिल का पता है, 
कौन कब किसको रोक पाता है , 
कौन कब  किसको रोक पाता है ॥
 
// मौलिक एवं अप्रकाशित //

 

Views: 458

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 23, 2015 at 12:17pm

आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , बधाई के लिए हृदय से धन्यवाद।  

Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 23, 2015 at 12:16pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर जी , बधाई के लिए हृदय से धन्यवाद। 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 23, 2015 at 2:24am

आदरणीया डॉo उषा चौधरी साहनी जी, बहुत बहुत बधाई सुन्दर प्रस्तुति है , सादर।

आईना देखूँ तो खुद पर , 
अपने ही  रूप - रंग पर , 
गुमान होता है ,अभिमान होता है, 
आँखे बंद कर के सोचूँ , 
तो यह भी एक धोखा लगता है , 
सच का संज्ञान होता है , .....सुन्दर लिखा है आपने !
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 22, 2015 at 10:45pm
" सब , बस खुद ही भटक रहें हैं " बहुत ही सुन्दर , आदरणीय डॉo उषा चौधरी साहनी जी, बहुत बहुत बधाई आपको आपकी इस गंभीर प्रस्तुति पर, सादर।
Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 22, 2015 at 9:16pm

आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, सादर  धन्यवाद।

Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 22, 2015 at 9:15pm

आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी, सादर  धन्यवाद। 

Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 22, 2015 at 9:14pm

आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी, सादर  धन्यवाद। 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 22, 2015 at 6:28pm

महनीया

एक अच्छी प्रस्तुति  i सादर i

Comment by maharshi tripathi on February 22, 2015 at 6:13pm

सुन्दर रचना आ. उषा जी |बधाई स्वीकार हो |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
11 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
18 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service