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2122 1212 22

तेरी रहमत अगर हुई होती ।
ज़िंदगी आज ज़िंदगी होती ।

आज पत्ते भी सब हरे होते।
गर हवा इस तरफ चली होती।

राह होती नहीं कभी मुश्किल।
साथ तू भी अगर रही होती।

तू अगर राजदां बना होता।
कोई तुहमत नहीं लगी होती।

कारवाँ दूर तक गया होता।
सोच सबकी अगर भली होती।

वो जुदा हो के भी मिला होता।
बात "साहिल" अगर हुई होती।

केतन साहिल
अप्रकाशित और मौखिक

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Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 10, 2013 at 11:30pm

जय हो.. .

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 6, 2013 at 2:24pm

अच्छी ग़ज़ल कही है आपने

दिली दाद कुबूल कीजिये सादर

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on December 5, 2013 at 10:18pm
बहुत बधाई भाई केतन जी
Comment by Ketan "SAAHIL" on December 5, 2013 at 9:50pm
manu ji shukriya
Comment by जगदानन्द झा 'मनु' on December 5, 2013 at 8:22pm

 बहुत ही उम्दा ग़ज़ल,  साहिल साब

Comment by Ketan "SAAHIL" on December 5, 2013 at 7:19pm
shukriya dost
Comment by अरुन 'अनन्त' on December 5, 2013 at 5:23pm

केतन भाई बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही है आपने सभी अशआर पसंद आये बधाई स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 5, 2013 at 2:36pm

आदरणीय  केतन भाई , !!!!! सुन्दर गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाई !!!!!

Comment by Saarthi Baidyanath on December 5, 2013 at 1:13pm

तेरी रहमत अगर हुई होती ।
ज़िंदगी आज ज़िंदगी होती ।

कारवाँ दूर तक गया होता।
सोच सबकी अगर भली होती।....दिली दाद हाजिर है इन मिसरों के लिए ..! बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 5, 2013 at 12:08pm

केतन जी

बहुत ही भावपूर्ण ग़ज़ल i आपको अनेक बधाइयाँ  i

कृपया ध्यान दे...

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