है उजागर ये हक़ीक़त ओ बी ओ
मुझको है तुझसे महब्बत ओ बी ओ
तेरे आयोजन सभी हैं बेमिसाल
तू अदब की एक जन्नत ओ बी ओ
कहते हैं अक्सर ,ये भाई योगराज
तू है इक छोटा सा भारत ओ बी ओ
सीखने वाले यही कहते सदा
तू करे बे लौस ख़िदमत ओ बी ओ
सबके दिल में बन गया है घर तेरा
सबके दिल में तेरी चाहत ओ बी ओ
मैं हूँ दीवाना तेरा सब जानते
तू मेरे दिल की है राहत ओ बी ओ
जुड़ गया है जो भी दामन से तेरे
दिल से करता है वो इज़्ज़त ओ बी ओ
चाहने वाले हज़ारों हैं तेरे
है ये तेरी क़द्र-ओ-क़ीमत ओ बी ओ
दिल से निकली है "समर" के ये दुआ
तू रहे सदियों सलामत ओ बी ओ
"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका धन्यवाद ।
जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब,ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका धन्यवाद ।
वाह वाह वाह ! ..
रंग-बिरंगे मिसरों में सजी हुई सुगढ़ ग़ज़ल ओबीओ के शान का और भी मान बढ़ा रही है ! उस पर आपके अंदाज़ का तो कहना ही क्या !
बहुत ख़ूब .. बहुत ख़ूब !
हार्दिक बधाइयाँ और अनंत शुभकामनाएँ .. शुभ-शुभ ..
वाह आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब ... ओ बी ओ की ९वीं वर्षगाँठ पर पेश भावपूर्ण ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई।
हार्दिक बधाई आदरणीय समर क़बीर साहब जी।ओ बी ओ की नवीं वर्षगाँठ की आपको एवम ओ बी ओ के सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई एवम बहुत बहुत मुबारक।
वाह आदरणीय बहुत खूबसूरत सरस तुहफ़ा हुआ...
शुक्रिया, प्रदीप जी ।
जनाब विनय कुमार जी आदाब,ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका धन्यवाद ।
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका धन्यवाद ।
//तू रहे हरदम सलामत ऐ समर
मांगती है बस ये मन्नत ओ बी ओ//--बहुत ख़ूब ।
जनाब अनीस शैख़ साहिब आदाब,ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका धन्यवाद ।
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