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हाइकु....
-----------
तेवर भी है
अंग-अंग सोने सा
जेवर भी है.
-------------
नही सूरत
सोच बदल डालो
है जरुरत.
----------
जान बचाओ
खतरे ही खतरे 
बाज तो  आओ.
-----------
मुर्गी क़े लिए
लड़ते बदस्तूर
कुर्सी क़े लिए
-------------
लड़कियां हैं
ताजगी साथ लायें 
खिड़कियाँ हैं.
---------------
ये तेवर हैं
कोई शक ही  नही 
पेशेवर हैं.
-------------
मुझे गुमान
ओ! मेरे हिंदुस्तान
मेरी मुस्कान.
--------------
अविनाश बागडे....

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 15, 2012 at 12:20pm

samtukaant haaiku sabhi ek se badhkar ek badhaai baagde ji.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 14, 2012 at 10:54am

नही सूरत

सोच बदल डालो
है जरुरत.
आदरणीय अविनाश जी, सादर , बहुत खूब . बधाई.
Comment by AVINASH S BAGDE on June 14, 2012 at 10:25am

 डॉ. सूर्या बाली "सूरज" ji..

Bishwajit yadav ji

bhai  कुमार गौरव अजीतेन्दु 

UMASHANKER MISHRA ji

सभी स्नेही-जनों का ह्रदय से आभार.

Comment by AVINASH S BAGDE on June 14, 2012 at 10:19am

 

आदरणीय अलबेला जी ,
मेरे हाइकु पसंद आये
आपकी जर्रा नवाजी.
Comment by AVINASH S BAGDE on June 14, 2012 at 10:18am

डॉ. प्राची जी, बहुत-बहुत धन्यवाद बारीकी से मेरी रचना को समय देने हेतु साथ ही एक भूल पे ध्यान दिलाने हेतु. वस्तुत:डायरी में मैंने लिखा- "बाज तो आओ खतरे ही खतरे जान बचाओ." पोस्ट करते वक़्त ऊपर की लाइन नीचे की और"तो"राह गया. फिर एक बार आभार आपका. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 14, 2012 at 8:54am
सुन्दर हाइकू आ. अविनाश बागडे जी
"जान बचाओ
खतरे ही खतरे 
बाज आओ."
इसके अंतिम पद को पुनः देख लें...
हार्दिक बधाई इन गेय समतुकांत हाइकूओं के लिए.
Comment by Albela Khatri on June 14, 2012 at 12:13am

jai ho avinash ji..............

kya kahne,,,,,,,,,,,,,,

badhaai !

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 13, 2012 at 11:12pm
आदरणीय अविनाश सर, बड़े अच्छे हाइकु। पहला खासतौर से।
Comment by Bishwajit yadav on June 13, 2012 at 10:59pm
प्रणाम अविनाश जी
अच्छा है
कुछ नया सिखने को मिला
Comment by UMASHANKER MISHRA on June 13, 2012 at 10:44pm

ये हाइकु हमारी कल्पना को अनेक रंग दे रहे हैं

बहुत सुन्दर

कृपया ध्यान दे...

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