For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गाड़ी स्टेशन छोड़ रही है

कण-कण, क्षण-क्षण

मिटती घुटती शाम से जुड़ती

स्वयँ को सांझ से पहले समेट रही

विलुप्त होती अवशेष रोशनी

प्रस्थान करते इंजिन के धुएँ-सी ...

दिन की साँस है अब जा रही

 

मृत्यु, अब तू अपना मुखौटा उतार दे

 

हमारे बीच के वह कितने वर्ष

जैसे बीते ही नहीं

कैसी असाधारणता है यह

कैसी है यह अंतिम विदा

मैं तुम्हें याद नहीं कर रहा

तू कहती थी न

“ याद तो तब करते हैं

जब भूले हों किसी को "

 

गाड़ी स्टेशन छोड़ रही है . . .

 

कहीं ठहरता नहीं है मन आज

घने पेड़ों की छातियों से घाटियों के पीछे

विवश-यात्रा को जा रही है गंभीर शाम

गठरी संभाल मैं भी अब तैयारी कर लूँ

जानी-अनजानी-अनबूझी  गलतियाँ अपनी 

तुमसे माफ़ी मांग सब स्वीकार कर लूँ

 

धुएँ की आत्मा में चीखती अब अंतिम सीटी

गाड़ी अब किसी भी पल स्टेशन छोड़ने को है

काल-पीढ़ित खाली पटरी तब उदास पड़ी

तुम्हारे लिए भयावय होगी, दानवी होगी

उदास अकेले अंधियारे वीराने में

खुरदुरे खम्भे पर सिर टिकाए

भीतर के गहरे धक्के से घबराई

पथराई, टूट जायोगी, बिखर जायोगी तुम

 

अन्त:स्तल में छटपटाते अर्थहीन आवेशों में बह्ती

फिसलते  विश्वासों से बढ़ती सरसराती यह पीर

फैली हथेली में  लिए बुझे अरमानों की राख

यह जानता हूँ मैं, बिलख-बिलख  रोओगी तुम

इससे पहले कि यह कठोर घनघोर  दृश्य

तुम्हारी धड़कन को दे दे वेदना भीषण

देखते हुए, डरे-डरे, करुण-निवेदन है तुमसे

प्रिय "प्यार",  तुम अभी लौट जाओ

 

गाड़ी  स्टेशन  छोड़  रही  है

प्यार  का  वास्ता  है,  तुम   लौट  जाओ

              -----------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 424

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on August 9, 2019 at 3:56am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मित्र C M Upadhyaay ji

Comment by vijay nikore on August 9, 2019 at 3:56am

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय भाई समर कबीर जी

Comment by Samar kabeer on July 20, 2019 at 8:28pm

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,हमेशा की तरह एक अच्छी रचना से रूबरू करवाया आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on July 17, 2019 at 7:18pm

"

धुएँ की आत्मा में चीखती अब अंतिम सीटी

गाड़ी अब किसी भी पल स्टेशन छोड़ने को है

काल-पीढ़ित खाली पटरी तब उदास पड़ी

तुम्हारे लिए भयावय होगी, दानवी होगी

उदास अकेले अंधियारे वीराने में

खुरदुरे खम्भे पर सिर टिकाए

भीतर के गहरे धक्के से घबराई

पथराई, टूट जायोगी, बिखर जायोगी तुम"

वाह ! बहुत खूब !!
जीवन की गाड़ी छूटने का सुन्दर काव्यमय दृश्य | बधाई  vijay nikore जी | 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Feb 1
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Feb 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service