For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चुप होना चाहता हूँ ....

चुप होना चाहता हूँ ....

नहीं नहीं
बहुत हुआ
अब मैं चुप रहना चाहता हूँ
अंधेरों सा खामोश रहना चाहता हूँ
अब मेरे पास
न तो विचार हैं
न किसी भी विचार को
अभिव्यक्त करने के लिए शब्द

पता नहीं

क्यों मैं चुप नहीं रह पाता
बावजूद ये जानते हुए भी
कि मेरे बोलने से कुछ नहीं बदलने वाला
मैं निरंतर बोले जा रहा हूँ
न जाने किसे और क्या क्या

मैं नहीं जानता
मेरा इस तरह से लगातार बोलना
किस हद तक ठीक है या गलत
हाँ मगर ये जानता हूँ
इस भौतिक संसार में
गूँगी किताबों और शब्दों की भीड़ में घिरा हुआ
चुप रहने की कोशिश में
लगातार बोले जा रहा हूँ


मेरे सारे प्रयत्न
चुप रहने की कोशिश में
निष्फल होते जा रहे हैं
मैं अपने विचारों की ज़मीन पर
अंकुरित होते शब्दों को
विराम देना चाहता हूँ
मैं अंधेरी आकृतियों में लीन होना चाहता हूँ
अभिव्यक्ति की वीचियों से
दूर होना चाहता हूँ
सच दोस्तों
अब मैं चुप होना चाहता हूँ , चुप होना चाहता हूँ ....

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 526

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on June 1, 2019 at 7:47pm

आदरणीय  narendrasinh chauhanजी सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on June 1, 2019 at 7:47pm

आदरणीय  गिरिराज भंडारीजी सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार। सर आपका कथन सही लग रहा है , भावावेश में लिख गया। मेने संशोधन कर दिया है।
इस अमूल्य सुझाव के लिए दिल से आभार।

Comment by narendrasinh chauhan on June 1, 2019 at 6:13pm

बहुत खूब  आदरनीय , कविता के लिए आपको हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 1, 2019 at 1:04pm

अच्छी कविता लगी आदरणीय .. बधाई

अब मेरे पास
न तो विचार हैं
न उन विचारों को
अभिव्यक्त करने के लिए शब्द   ---  दूसरी  पंक्ति मे आप कह रहे हैं कि ..मेरे पास विचार नहीं है .. फिर नीचे आप कह रहे हैं .. विचारों को अभिव्यक्ति के लिए शब्द नहीं है .. सोचियेगा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
56 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
8 hours ago
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service