For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ६९

2212 1212 2212 1212

ख़ुश्बू सी यूँ हवा में है, लगता वो आने वाला है
आबोहवा का हाल भी पिछले ज़माने वाला है //१

बाहों का तुम सहारा दो, तूफ़ान आने वाला है
दरिया तुम्हारे प्यार का सबको डुबाने वाला है ///२

बनते हो तीसमार खाँ, मेरी भी पर ज़रा सुनो
इक दिन ये वक़्त आईना तुमको दिखाने वाला है //३

मैं तो बड़े सुकून से सोया था तन्हा अपने घर
मुझको वफ़ा के खेल में तू ही तो लाने वाला है //४

है ये भिखारी आज का, कम है न मालदार से
कहते हैं सब उसे कि वो चिल्लर भुनाने वाला है //५

मैं भी ज़रा तो देख लूँ, तेरे लिए सुना बहुत
बाज़ीचा ए हयात में तू भी निशाने वाला है //६

थोड़ी तसल्ली तो रखो, होगा तुम्हे भी इल्म ये
जिसने किया गुनाह वो, नज़रें चुराने वाला है //७

जो है मुहाफ़िज़े अवाँ, उस का भी ख़ौफ़ कम नहीं
कहते हैं दूर ही रहो, जो भी है, थाने वाला है //८

छज्जे से फ़िर नया कोई चेहरा दिखा है राज़ को
कोठे से वो पतंग फिर हर दिन उड़ाने वाला है //९

~ राज़ नवादवी

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

बाज़ीचा ए हयात- जीवन रूपी खेल; मुहाफ़िज़े अवाँ- समय का प्रहरी

Views: 456

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on November 18, 2018 at 1:32pm

आदरणीय तेज वीर सिंह साहब, आदाब. ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफज़ाई का तहेदिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by TEJ VEER SINGH on November 18, 2018 at 12:27pm

हार्दिक बधाई आदरणीय राज नवादवी जी। बहुत सुंदर गज़ल।

बनते हो तीसमार खाँ, मेरी भी पर ज़रा सुनो 
इक दिन ये वक़्त आईना तुमको दिखाने वाला है //३ 

Comment by राज़ नवादवी on November 17, 2018 at 11:39pm

जनाब नरेन्द्र सिंह चौहान साहब, आदाब. ग़ज़ल में शिरकत और सुखन नवाज़ी का तहे दिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by narendrasinh chauhan on November 17, 2018 at 7:46pm

ख़ुश्बू सी यूँ हवा में है, लगता वो आने वाला है 
आबोहवा का हाल भी पिछले ज़माने वाला है 

बहोत खूब। 

सुन्दर रचना 

Comment by राज़ नवादवी on November 17, 2018 at 3:13pm

आदाब, मैं स्वयं नहीं समझ पाया। शायद सिस्टम में किसी वजह से मेरी पोस्ट उड़ गई थी, जनाब योगराज जी से फोन पे बात करने के बाद दुबारा पोस्ट की है। सादर। 

Comment by Samar kabeer on November 17, 2018 at 2:45pm

इस ग़ज़ल की टिप्पणी कहाँ गईं?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और मार्गदर्शन के लिए आभार। गजल गलत थ्रेड में पोस्ट…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"2122 2122 2122 212 हंस उड़ने पर भला तन बोल क्या रह जाएगाआदमी के बाद उस का बस कहा रह जाएगा।१।*दोष…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। दोष होना तो…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  2122 2122 2122…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"नमन मंच 2122 2122 2122 212 जो जहाँ होगा वहीं पर वो खड़ा रह जाएगा ज़श्न ऐसा होगा सबका मुँह खुला रह…"
7 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
10 hours ago
Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service