For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मापनी - २१२२ 12 1222 

चाहते हैं मगर नहीं आती

हर ख़ुशी सबके’ घर नहीं आती  

 

दिल में’ थोड़ी सी’ गुदगुदी कर दे  

आजकल वो खबर नहीं आती  

 

मैं इधर जब उदास होता हूँ  

नींद उसको उधर नहीं आती

 

पास जाओ तो’ पैर चूमेगी

दूर तक क्यूँ लहर नहीं आती

 

जिन्दगी से न कोई’ मिल पाता

मौत मिलने अगर नहीं आती

 

आप इज्जत सँभाल कर रखिये

जो गई, लौटकर नहीं आती

 

दर्दे दिल का कमाल है वरना

शाइरी उम्र भर नहीं आती

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 899

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by santosh khirwadkar on November 3, 2018 at 10:48am

आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी नमस्कार , सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति ,बधाई ! बाक़ी गुणीजनों ने कह दिया है. सादर.

Comment by बसंत कुमार शर्मा on November 3, 2018 at 9:07am

आदरणीय बलराम धाकड़ जी सादर नमस्कार, आपकी हौसलाअफजाई का दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on November 3, 2018 at 9:06am

आदरणीय राज़ नवादवी जी सादर नमस्कार, आपकी हौसलाअफजाई का बेहद शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on November 3, 2018 at 9:06am

आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सादर नमस्कार , गजल आपको पसंद आई, मेहनत सार्थक हुई 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on November 3, 2018 at 9:04am

आदरणीय समर कबीर जी आपके आशीष को सादर नमन, देखिये यूँ ठीक रहेगा क्या 

आप इज्जत बचा के रखियेगा 

जो गई, लौटकर नहीं आती 

Comment by राज़ नवादवी on November 3, 2018 at 6:03am

आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी, आदाब. सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति पे दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ. बाक़ी गुणीजनों ने कह दिया है. सादर. 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 3, 2018 at 5:33am

आ. भाई बसंत जी, संशोधित गजल बेहतरीन हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Balram Dhakar on November 3, 2018 at 12:20am

आदरणीय बसंत कुमार जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।

दाद के साथ मुबारक़बाद क़ुबूल फ़रमाएं।

सादर।

Comment by Samar kabeer on November 2, 2018 at 10:32pm

अब ठीक है ।

'गई फिर लौटकर नहीं आती'

इस मिसरे को और चुस्त करें ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on November 2, 2018 at 8:09pm

सभी विद्वजनों से आग्रह , अब देखें कुछ ठीक हुई क्या '

चाहते हैं मगर नहीं आती

हर ख़ुशी सबके’ घर नहीं आती  

 

गुदगुदाने लगे हृदय को जो

आजकल वो खबर नहीं आती  

 

दिल इधर हो उदास मेरा तो

नींद उसको उधर नहीं आती

 

पास जाओ तो पैर चूमेगी

दूर तट पर लहर नहीं आती

 

रोज दिखती थी’ वोट पड़ने तक  

अब वो सूरत नजर नहीं आती

 

दर्द दिल में अगर नहीं होता

शायरी उम्र भर नहीं आती

 

जिन्दगी से न कोई’ मिल पाता

मौत मिलने अगर नहीं आती

 

आप इज्जत बचा के रखियेगा

गई फिर लौटकर नहीं आती

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
Monday
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service