For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की- सोचिये फिर डूबने में कितनी आसानी रहे

.
सोचिये फिर डूबने में कितनी आसानी रहे
उनकी आँखों में जो मेरे वास्ते पानी रहे.
.
मैं किसी को जोड़ने में घट भी जाऊँ ग़म न हो
ज़िन्दगानी के गणित में इतनी नादानी रहे.
.
क़त्ल होते वक़्त भी मैं मुस्कुराता ही रहूँ
ताकि क़ातिल को मेरे ता-उम्र हैरानी रहे.
.
क़ाफ़िला यादों का गुज़रे रेगज़ार-ए-दिल से जब
आँखों में लाज़िम है सारी रात तुग़्यानी रहे.
.
क्यूँ भला सोचूँ वो दुश्मन है मेरा या कोई दोस्त
मैं रहूँ अव्वल तो बेशक़ कोई भी सानी रहे.
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 1009

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 8, 2018 at 5:45pm

आदरणीय नीलेश भाई नमन सादर! उम्दा गजल कही है। बधाई बहुत बहुत

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 6, 2018 at 12:29pm

धन्यवाद आ. रवि जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 6, 2018 at 12:29pm

धन्यवाद आ. मोहम्मद आरिफ साहब 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 6, 2018 at 12:28pm

धन्यवाद आ. अजय जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 6, 2018 at 12:28pm

धन्यवाद आ. छोटेलाल सिंह जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 6, 2018 at 12:28pm

धन्यवाद आ. तेजवीर जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 6, 2018 at 12:28pm

शुक्रिया आ. समर सर,
बांग्लादेश से भारत आने की आपाधापी में धन्यवाद ज्ञापित करने में देरी  हुई इसका खेद है 

Comment by Ravi Shukla on November 6, 2018 at 1:19am

आदरणीय निलेश जी, उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई.

मैं किसी को जोड़ने में घट भी जाऊँ ग़म न हो 
ज़िन्दगानी के गणित में इतनी नादानी रहे.
.

इस के लिए अलग से बधाई 

Comment by Mohammed Arif on November 4, 2018 at 8:04am

आदरणीय निलेश जी आदाब,

                   बहुत ही शानदार और धारदार ग़ज़ल । इस ग़ज़ल का हर शे'र मुझे पसंद है । दिली मुबारकबाद कुबूल करें ।

Comment by Ajay Tiwari on November 3, 2018 at 8:04pm

आदरणीय निलेश जी, उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
8 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी दोनों सहकर्मी है।"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। कई…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service