For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बीते लम्हों को चलो .....संतोष

अरकान:-

फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फेलुन

बीते लम्हों को चलो फिर से पुकारा जाए

वक़्त इक साथ सनम मिलके गुज़ारा जाए

तोड़कर आज ग़लत फ़हमी की दीवारों को

दोस्तो अपने अल्लुक़ को सँवारा जाए

हम तो चल पड़ते हैं बस नाम तुम्हारा लेकर

जिस तरफ़ लेके ये क़िस्मत का सितारा जाए

बाल--पर छीन के आज़ाद कर तू इसको

क़ैद से छूट के पंछी ये मारा जाए

ऐसे हालात में 'संतोष' बहुत मुमकिन है

भूल इक रोज़ समन्दर को किनारा जाए

#संतोष_खिरवड़कर

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 849

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by santosh khirwadkar on October 3, 2018 at 9:41am

बहुत धन्यवाद आ.गुप्ता साहब

Comment by santosh khirwadkar on October 3, 2018 at 9:40am

बहुत शुक्रिया आ.अजय जी 

Comment by santosh khirwadkar on October 3, 2018 at 9:39am

बहुत धन्यवाद आ. बृजेश जी 

Comment by रामबली गुप्ता on October 1, 2018 at 11:03pm

आदरणीय भाई संतोष जी बढियाँ ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार करें । सादर

Comment by Ajay Tiwari on October 1, 2018 at 7:13pm

आदरणीय संतोष जी, खूबसूरत अशआर हुए हैं. हार्दिक बधाई 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 29, 2018 at 7:13pm

बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है आदरणीय...

Comment by santosh khirwadkar on September 29, 2018 at 11:32am

बहुत शुक्रिया आदरणीय सुशील जी !!!

Comment by Sushil Sarna on September 27, 2018 at 7:09pm

आदरणीय संतोष जी बहुत सुंदर ग़ज़ल बनी है .... हार्दिक बधाई।

Comment by santosh khirwadkar on September 26, 2018 at 8:11pm

प्रणाम आ. समर साहब,बहुत शुक्रिया!!

Comment by santosh khirwadkar on September 26, 2018 at 8:10pm

बहुत शुक्रिया आ  डॉ. सिंह साहब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
14 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
20 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service