For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

परिवर्तन या अपवर्तन (लघुकथा)

"बेटा, फल के आने से वृक्ष तक झुक जाते हैं, वर्षा के समय बादल झुक जाते हैं, संपत्ति के समय सज्जन भी नम्र हो जाते हैं। परोपकारियों का स्वभाव ही ऐसा होता है! कह गए अपने तुलसीदास जी, समझे!" महाविद्यालय की कैंटीन में राजनीतिक गुफ़्तगु करते छात्र-समूह में से एक ने दूसरे की बात सुनकर हिदायत देने की कोशिश कर डाली!


"अबे, यह सब क़िताबों में ही रहने दे और आज की दुनिया की बात कर!" दूसरे छात्र ने चाट का दोना वेस्टबिन में डालते हुए कहा - "फल आने के अहंकार से संस्कार झुक जाते हैं, धनवर्षा के समय वे झुक जाते हैं, संपत्ति के समय सज्जन रूपी संस्कारी भी दुर्जन, शोषक और आतंकी से हो जाते हैं! धन बढ़ाने के लिए परोपकारियों का आडंबर-भाव ही ऐसा है!"


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 505

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by babitagupta on May 1, 2018 at 2:01pm

सरजी,आज की युवा पीढ़ी ही क्या ,सभी उस संक्रमण काल से गुजर रहे हैं जहां ना तो वो विरासत में मिले संस्कारों को सही ढंग से अपना पा रहे हैं और ना ही पूरु तरह से आधुनिक माहौल में ढल पा रहे.लघु कथा द्वारा बहुत ही सटीक कटाछ किया हैं.आभार.

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 30, 2018 at 11:08pm

अपने विचार साझा करते हुए मेरी हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब और जनाब नीलेश शेव्गांवकर साहिब।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 29, 2018 at 9:34am

ग़ज़ब की लघुकथा हुई है.. लगभग ऐसे ही वाकये का संस्मरण कभी पेश करूँगा मैं भी जो छात्र जीवन में मैंने अनुभव किया है.. मैं भी उस दूसरे छात्र की तरह था कही...
रचना से अधिक बधाई शीर्षक के लिए देना चाहूँगा आप को..
ढेरों दाद 
सादर 

Comment by Mohammed Arif on April 29, 2018 at 7:52am

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,

                                      बहुत ही कटाक्षपूर्ण लघुकथा । आज का युग संक्रमण-काल का दौर है । सबकुछ विपरीत हो रहा है । सारी उक्तियाँ और किंवदंतियाँ उलट हो गई है । बेहतरीन लघुकथा के लिए दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service