For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

निर्मोही रिश्ते ...

निर्मोही रिश्ते ...

भावों की ज़मीन को
करते हैं बंजर
बंजारे से
ये
आजकल के
निर्मोही रिश्ते

जीवन को
मृत्यु का
कफ़न पहनाते
ये
आजकल के
निर्मोही रिश्ते

अपनी ही कोख़ से
अनजान बनते
ये
आजकल के
निर्मोही रिश्ते

कितना अजीब लगता है
जब
मृत रिश्तों को
कांधा देते
ले जाते हैं
दुनियावी सड़क से
मरघट तक
ये मृत केंचुली में
स्वांग रचाते
ज़िंदा
निर्मोही रिश्ते

सच
रिश्तों के कांधों पर
रिश्तों की लाशें
ढोते हैं
ये
आजकल के
निर्मोही रिश्ते

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 449

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on March 30, 2018 at 6:42pm

आदरणीय सोमेश कुमार जी सृजन को मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on March 30, 2018 at 6:42pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब , ... अपने चिर परिचित अंदाज़ में सृजन के भावों को अपने आशीर्वाद से अलंकृत करने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on March 30, 2018 at 6:42pm

आदरणीय वीरेन्दर वीर मेंता जी सृजन के भावों की आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on March 30, 2018 at 6:41pm

आदरणीय तेज वीर सिंह जी सृजन आपकी मधुर सराहना का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on March 30, 2018 at 6:41pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब , आदाब ... सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by somesh kumar on March 30, 2018 at 11:03am

निर्मोही रिश्तों पर मोहक रचना |

Comment by Samar kabeer on March 29, 2018 at 2:51pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, रिश्तों के बदलते अंदाज़ को अपनी कविता में बहुत उम्दा तरीक़े से बयान किया है आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on March 29, 2018 at 2:23pm

बहुत सुन्दर. आदरणीय सुशील सरना जी, आजकल के निर्मोही रिश्तों की कितनी उम्दा व्याख्या की है आपने. सच में दिल को छूती  लाजवाब रचना। हार्दिक बधाई स्वीकार करें भाई जी  

Comment by TEJ VEER SINGH on March 29, 2018 at 11:08am

हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी। बेहतरीन कविता।

Comment by Mohammed Arif on March 29, 2018 at 8:08am

आधरणीय सुशील सरना जी आदाब,

                             रिश्तों को केंद्र में रखकर रची गई बहुत ही लाजवाब रचना । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service