For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उसकी लाठी आवाज नहीं करती (लघुकथा)

"अरे रमेश ये कैसे हुआ? और बेटे की हालत कैसी है? मुझे तो जैसे ही खबर लगी,भागा-भागा चला आ रहा हूँ"  आई सी यू के बाहर खड़े रमेश से रतन ने पूछा।

रतन को देखते ही रमेश रो पड़ा। फिर अपने को संभालते हुए बोला-"क्या बताऊँ तुम्हें, मेरे घर के पास जो हाई वोल्टेज तार का खम्बा लगा हुआ था, वही कल अचानक गिर गया। और फिर ये…."

बोलते-बोलते वह फफक पड़ा।

रतन ढाँढस देते हुए बोला- "मित्र हिम्मत न हारो। सब कुछ ठीक हो जाएगा। .....डॉक्टर्स क्या कह रहे हैं?"

"क्या कहेंगे? बेटा पचास फीसदी से ज्यादा जल चुका है। अब तो कोई चमत्कार ही उसे.........।" भर्याये स्वर लिए रमेश बोला।

"ऊपर वाला है, सब ठीक होगा, भरोसा रखो .....। रतन रमेश का हाथ पकड़ कर बगल में पड़े कुर्सी पर बैठाते हुए बोला।

रतन पुनः बोल पड़ा- "यार एक बात बताओ। खम्बा तो कोई 10 साल पहले ही लगा था? " 

हूँ ...... रमेश इतना ही बोल सका।

"फिर इतना जल्दी कैसे गिर गया....? सब भ्रष्टाचार की देन है मित्र! अन्यथा इतनी जल्दी खम्बा नहीं गिरता।" रतन एक सुर में बोल गया।

यह सुनते ही रमेश का हृदय चीत्कार उठा। उसकी हालत ऐसी हो गयी जैसे काटो तो ख़ून नहीं। उसे 10 साल पहले की एक-एक बात याद आने लगी। उसे लगने लगा कि जैसे अपने बेटे को उसने खुद ही जलाया है।

जब खम्बा लगाने के लिए सीमेंट गिट्टी बालू वगैरह आया था तो सीमेंट उसके घर में ही रखा गया था। उसने ठेकेदार और इंजीनियर की मदद से काफी सीमेंट ब्लैक में बेच दिया था।

वह नहीं जानता था कि उसके पापों की इतनी बड़ी सजा मिलेगी।  वह कभी नीचे देखता तो कभी ऊपर क्योंकि वह सबसे अपने गुनाह छुपा सकता था लेकिन ख़ुद से नहीं..।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 799

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on March 27, 2018 at 8:47am

आद0 डॉ छोटेलाल भैया सादर अभिवादन। आपको लघुकथा पसन्द आयी,लिखना सार्थक हुई। सादर

Comment by नाथ सोनांचली on March 27, 2018 at 8:46am

आद0 भाई नीलेश जी सादर अभिवादन। आपकी उत्साह बढाती प्रतिक्रिया के लिए हृदय तल से आभार

Comment by नाथ सोनांचली on March 27, 2018 at 8:44am

आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन। आपको लघुकथा पसन्द आयी, लिखना सार्थक हुआ। आपकी प्रतिक्रिया मुझे और बेहतर लिखने को प्रेरित करती है।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on March 27, 2018 at 8:30am
वाह भाई इतनी अच्छी कहानी यथार्थ के धरातल पर बहुत ही सुंदर कहानी बधाई हो
Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 27, 2018 at 8:13am

वाह आदरणीय सुरेंद्र भाई जी,

अच्छी सीख देती हुई लघुकथा के लिए बधाई

सादर

Comment by Mohammed Arif on March 27, 2018 at 8:07am

आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब,

                            बहुत ही साधारण कथानक पर बेहतरीन लघुकथा । आज भ्रष्टाचार कहाँ नहीं है और उसमें हमारा स्वार्थ और संलिप्तता कहाँ नहीं है । भ्रष्टाचार को कोसने से पहले हमारी संलिप्तता भी देख लेना चाहिए फिर भ्रष्टाचार का विरोध करना चाहिए । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Vikas is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
Monday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service