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आज फिर वो मुझे याद आने लगे

212 212 212 212

आज फिर वो मुझे याद आने लगे ।

भूलने में जिसे थे ज़माने लगे ।।

कर गई है असर वो मिरे जख़्म तक ।

इस तरह क्यूँ ग़ज़ल गुनगुनाने लगे ।।

दिल जलाने की साज़िश बयां हो गयी ।

बेसबब आप जब मुस्कुराने लगे ।।

अब बता दीजिये क्या ख़ता हो गयी ।

ख़ाब में इस तरह क्यों सताने लगे ।।

जिनको चलना सिखाया था मैंने कभी ।

राह मुझको वही अब बताने लगे ।।

तेरे आने की उनको खबर क्या मिली।

असमा लोग सर पे उठाने लगे ।।

वो निभाएंगे कैसे मिरे इश्क़ को ।

कुछ ख़यालात उनके पुराने लगे।।

इक मुलाकत भी थी जरूरी सनम ।

मानता आपके सौ बहाने लगे ।।

मैकदा जाइये मैकदा खुल गया ।

देखिये होश में आप आने लगे ।।

जब भी देखा मैं दायां तो बायां दिखा।

आईने सच भला कब दिखाने लगे ।।

रुख से पर्दा हटा तो कयामत हुई ।

जुल्म फिर आशिकों पे वो ढाने लगे ।।

--नवीन मणि त्रिपाठी मौलिक अप्रकाशित

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Comment by Naveen Mani Tripathi on February 2, 2018 at 4:14pm

आ0 मु0 आरिफ साहब सादर आभार । कबीर सर आजकल ओबीओ में नहीं आ पा रहे हैं । बाकी कोई इस्लाह देने वाला व्यक्ति लगता है ओबीओ में नहीं है । यह ओबीओ की लोकप्रियता पर संकट का बादल है । 

Comment by narendrasinh chauhan on January 29, 2018 at 12:30pm

खूब सुन्दर रचना 

Comment by Mohammed Arif on January 29, 2018 at 11:16am

आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,

                                        शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on January 29, 2018 at 8:55am

आ0 सुरेंद्र नाथ सिंह कुश क्षत्रप जी सादर आभार

Comment by Naveen Mani Tripathi on January 29, 2018 at 8:55am

आ0 तेजवीर सिंह जी सादर आभार ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 29, 2018 at 5:13am

आद0 नवीन जी सादर अभिवादन।बेहतरीन ग़ज़ल कहि आपने, बधाई आपको, इस प्रस्तुति पर।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 28, 2018 at 10:27pm

हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी।बेहतरीन गज़ल।

जिनको चलना सिखाया था मैंने कभी ।

राह मुझको वही अब बताने लगे ।।

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