भीतर-बाहर
हाँफती धुमैली साँसों की धड़कन
लगता है यह गाड़ी अचानक
किन्हीं अनजान अपरिचित
दो स्टेशनों के बीच
ज़बर्दस्ती
रोक दी गई है, कब से
अमावस की रा्त ...
भीतर-बाहर
बिजली
बुझा दी गई है
इतना भयंकर आकारहीन सुनसान
(भीतर-बाहर)
भविष्यवाणी न कोई सिगनल
हरी झंडी नहीं
लाल झंडी भी नहीं, बस
हाहाकार करता कठिन संग्राम
अर्थहीन अधबना-पन
भीतर-बाहर
पूछूँ किससे, क्या पूछूँ, या न पूछूँ
बन्द कमरे में बन्द
खिड़की की सलाखों के बीच से चीखूँ ?
माथा ... बन्द दरवाज़े पर पटकूँ ?
है दर्द भरी गहरी तड़फड़ाती अकुलाहट
भीतर-बाहर
शैश्वावस्था में जब कभी था गिरा
अनुरोध करती-सी कहती थी माँ
"चुप" ... "अच्छे बच्चे नहीं रोते"
"मैं हूँ न !"
अब कुलबुलाता शून्य
मानो फैलते अन्धकार की गति की लय
छा गई है भीतर-बाहर
अनवरत भयावनी खामोशी
पथरायी ज़िंदगी को कब से
बुखार-सा चढ़ा है
अनुताप का प्रच्छन्न प्रवाह ...
"कहाँ हो, माँ ?"
----------
-- विजय निकोर
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब,हमेशा की तरह एक शानदार और प्रभावशाली रचना,इस बहतरीन प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
//हालात, अनुभव, संवेदनहीनता, आहत संवेदनाओं को सांकेतिक रूप से अभिव्यक्त करती बेहतरीन विचारोत्तेजक रचना//
इस रचना को आपसे मान मिला, आपका हार्दिक आभार, आ. शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी।
हालात, अनुभव, संवेदनहीनता, आहत संवेदनाओं को सांकेतिक रूप से अभिव्यक्त करती बेहतरीन विचारोत्तेजक रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब विजय निकोरे साहिब।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2025 Created by Admin.
Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online