For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शंख बजे ज्यों ही ठण्डी के

शंख बजे ज्यों ही ठण्डी के,
मौसम ने यूं पलट खाया,
शीतल हो उठा कण-कण धरती का,
कोहरे ने बिगुल बजाया!!

हीटर बने हैं भाग्य विधाता,
चाय और कॉफी की चुस्की बना जीवनदाता,
सुबह उठ के नहाने वक्त,
बेचैनी से जी घबराता!!

घर से बाहर निकलते ही,
शरीर थरथराने लगता,
लगता सूरज अासमां में आज,
नहीं निकलने का वजह ढूढ़ता!!

कोहरे के दस्तक के आतंक ने,
सुबह होते ही हड़कंप मचाया,
शंख बजे ज्यों ही ठण्डी के
मौसम ने यूं पलटा खाया!!

दुबक पड़े इंसान रजाईयों में,
ठण्ड की मार से,
कांप उठा कण-कण धरती का
मौसम की चाल से!!

बजी नया साल की शहनाईयां,
और क्रिसमस के इंतज़ार में,
झूम उठा पूरा धरती,
अपने-अपने परिवार में!!

शंख बजे ज्यों ही ठण्डी के,
मौसम ने यूं ही पलट खाया,
शीतल हो उठा कण-कण धरती का,
कोहरे ने बिगुल बजाया!!
.
सुशील कुमार वर्मा
दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर
अप्रकाशित और मौलिक

Views: 560

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on November 20, 2017 at 8:16am
आदरणीय सुशील कुमार जी आदाब,
बहुत भी बेहतरीन रचना । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी की बातों का संज्ञान लें ।
Comment by Samar kabeer on November 19, 2017 at 5:32pm
जनाब सुशील कुमार वर्मा जी आदाब,अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।
जनाब सुरेन्द्र जी की बातों का संज्ञान लें ।
Comment by Sushil Kumar Verma on November 19, 2017 at 3:24pm
बहुत बहुत धन्यवाद सुरेन्द्र नाथ जी!!
आपने मेरे कमियों को बताया
Comment by नाथ सोनांचली on November 19, 2017 at 2:30pm
आद0 सुशील कुमार वर्मा जी सादर अभिवादन, अच्छा प्रयास किया है आपने पर कविता में शब्दकल सही शब्द संयोजन और तुकान्तता का विशेष महत्व होता है। एक समान मात्रा भार आप लेते और शब्दकल सटीक होते तो गेयता आ जाती। तुकान्तता पर भी विशेष ध्यान दीजिए, चाल से की तुकान्तता मार से कैसे? बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
14 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service