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गीत... ओ बरसते मेघ प्यारे-बृजेश कुमार 'ब्रज'

मनोरम छंद SISS SISS पे आधारित गीत

ओ बरसते मेघ प्यारे

चल रही पुरवा सुहानी
प्रीत की कहती कहानी
नीर जो अम्बर से बरसे
आसुओं की है रवानी
बात ये उनको बता रे
ओ बरसते मेघ प्यारे

खुशनुमा कुछ पल चुरा लूँ
संग तेरे मैं भी गा लूँ
बीत जायेगा ये मौसम
आँख में तुझको समा लूँ
रुक जरा सा हे सखा रे
ओ बरसते मेघ प्यारे

राह तेरी तकते तकते
साल बीता है बिलखते
जो बसे थे उर नगर में
रह गये सपने सुलगते
मोर दादुर भी पुकारे
ओ बरसते मेघ प्यारे

पतझरों की आँधियों में
पुष्प की बरबादियों में
चीखता उपवन अकेला
मौन सी आबादियों में
है क़यामत ये सदा रे
ओ बरसते मेघ प्यारे

माह वो मधुमास का था
छीजते विस्वास का था
था किया रोपण जतन से
वृक्ष जो इक आस का था
सूख के काँटा हुआ रे
ओ बरसते मेघ प्यारे रे
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

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Comment

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Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 16, 2017 at 6:32pm
आदरणीय मिथिलेश जी सादर नमन..मंच से कुछ बात साफ हो इसीलिए 'मनोरम छंद' लिखा है..दरअसल ये गीत जहाँ तक मुझे पता है इस छंद की जो विशेषतायें हैं उनमें से एक पूरी नहीं कर रहा है..इसमें दो दो चरणों में क्रमागत तुकांतता होनी चाहिए।अगर ये विशेषता अपरिहार्य है तो ये गीत मनोरम छंद नहीं ही सकता ।कृपया मार्गदर्शन करें...
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 16, 2017 at 6:25pm
आदरणीय समर कबीर जी सादर नमन स्वीकारें...इसमें मुझे संशय है साल बीती या साल बीता.. बातचीत में हम अक्सर ये साल भी बीत गई..ही कहते हैं शायद..चौथे बन्द की तुकांतता 'यों' निर्धारित है जो मुझे लगता है सही है..लेकिन यदि आप कह रहे हैं तो कुछ बात अवश्य होगी कृपया थोड़ा और रौशनी डालें तो मुझे आसानी होगी..सादर
Comment by प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप' on November 16, 2017 at 5:37pm
आ० बृजेश कुमार जी!

बहुत सुंदर प्रवाहमयी गीत है।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 16, 2017 at 5:07pm

आदरणीय यह मनोरम छंद है या बहर-ए-रमल?

Comment by Samar kabeer on November 16, 2017 at 5:04pm
जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज'साहिब आदाब,बहुत उम्दा गीत है, शिल्प और प्रवाह उत्तम है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'साल बीती है बिलखते',या "साल बीता है बिलखते"?
चौथे बन्द में 'बर्बादियों'और 'आबादियों' की तुकान्तता सही नहीं है,देखियेगा ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 16, 2017 at 4:11pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय श्याम नारायण जी...
Comment by Shyam Narain Verma on November 16, 2017 at 12:05pm
बहुत उम्दा हार्दिक शुभकामनाएं l
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 15, 2017 at 6:45pm
स्वागत है आदरणीय सलीम जी..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 15, 2017 at 6:45pm
सुन्दर शब्दों में उत्साहवर्धन के लिए आभार आदरणीय सुशील सरना जी..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 15, 2017 at 6:43pm
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय आरिफ जी..सादर

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